नोएडा। जनपद गौतमबुद्ध नगर में होमगार्डों की कथित तौर पर फर्जी हाजिरी लगाकर सरकार को करोड़ों रुपये की चपत लगाने का मामला सामने आने से हड़कंप मच गया है। मामले में शासन स्तर से एक जांच समिति का गठन कर दिया गया है, वहीं डीजीपी के निर्देश पर नोएडा में एफआईआर दर्ज हो रही है। उधर इस मामले में होमगार्ड मंत्री चेतन चौहान ने अहम बैठक बुलाई है। विधान सभा कार्यालय में बैठक में डीजीपी होमगार्ड को तलब किया गया है। मामले में मंत्री चेतन चौहान ने कहा है कि मिली शिकायतों पर जांच कराई जा रही है। दोषियों पर विभागीय कार्यवाई की जाएगी। कितना भी प्रभावशाली व्यक्ति हो कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि अभी सिर्फ नोएडा मामले की जांच कराई जा रही है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि होमगार्डों की ड्यूटी में बड़ा घोटाला हुआ है। कुछ होमगार्ड ड्यूटी पर नहीं आते, लेकिन विभाग के अधिकारी थानों में उनकी उपस्थिति दिखाकर उनका वेतन निकाल लेते हैं। यह पूरा खेल होमगार्ड विभाग के एक संगठित गिरोह के माध्यम से होता है। पुलिस कप्तान ने बताया कि जब उन्होंने अपने स्तर से जांच कराई तो पता चला कि होमगार्ड विभाग के अधिकारियों ने जिले के थाना प्रभारियों के फर्जी हस्ताक्षर और फर्जी मुहर के सहारे इस घोटाले को अंजाम दिया है।
एसएसपी ने बताया कि इस मामले में उन्होंने शासन को पत्र लिखा और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की। उनके द्वारा सरकार को पत्र लिखे जाने के बाद होमगार्ड महानिदेशक ने इस मामले की जांच के लिए एक समिति बनाई। समिति में एसएसओ, लखनऊ मुख्यालय सुनील कुमार, मिर्जापुर के जिला कमांडेंट शैलेंद्र प्रताप सिंह, बागपत की मंडल कमांडेंट नीता भारती और मेरठ के मंडल कमांडेंट डीडी मौर्या शामिल हैं। इस समिति ने जनपद गौतमबुद्ध नगर में जांच की है।
उन्होंने बताया कि जांच टीम के सदस्यों ने जिले के एक-एक थाने में जाकर 12 से 13 घंटे तक पत्रावालियों की जांच की जिसमें होमगार्ड की सबसे ज्यादा फर्जी उपस्थिति नॉलेज पार्क थानांतर्गत पाई गई हैं। जांच अधिकारियों ने कई थानों की फर्जी मुहर के साथ-साथ पत्रावलियों को भी जब्त किया है।पुलिस अधिकारी ने बताया कि फर्जी उपस्थिति के आधार पर होमगार्ड जवानों के खाते में पैसा चला जाता था। घोटाले में शामिल लोग बाद में जवानों से अपना हिस्सा ले लेते थे।
एसएसपी ने बताया करीब 5 थानों के सैंपल लिए गए थे। इसमें 2 महीने में करीब साढे़ सात लाख का घोटाला सामने आया है। अगर वहीं पूरे प्रदेश स्तर में इस तरह की गड़बड़ी की जा रही है तो करोड़ों रुपए का घोटाला सामने आएगा। जिसमें जांच के बाद ही कई बड़े चेहरे भी बेनकाब हो सकते हैं।
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