प्रदूषण रोकने के लिए कर रहे पीने के पानी का छिड़काव

गाजियाबाद। नगर निगम प्रदूषण कम करने के लिए जमीन से पीने योग्य पानी निकाल कर छिड़काव कर रहा है। केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूए) की गाइडलाइन है कि भूजल केवल पीने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। एनजीटी भी आदेश दे चुका है कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) से निकलने वाले पानी को छिड़काव के लिए प्रयोग में लाया जाए। सबको दरकिनार करते हुए जमीन से निकले पानी को इस तरह बहाया जा रहा है।

नगर निगम क्षेत्र में 3500 किलोमीटर सड़क है। इन सड़कों पर सुबह से शाम तक छिड़काव किया जा रहा है। करीब डेढ़ लाख लीटर पीने के पानी का छिड़काव किया जा रहा है। एसटीपी के पानी का उपयोग नहीं हो रहा। इसके अलावा पार्कों में भी पीने का पानी ही पेड़ों में डाला जा रहा है। पर्यावरण एक्टिविस्ट सुशील राघव ने इस मामले की शिकायत नगर निगम से की। उस पर कोई प्रभावी कदम निगम ने नहीं उठाया।

नगर निगम के तीन एसटीपी हैं। डूंडाहेड़ा में 70 और 56 एमएलडी के दो एसटीपी हैं। इंदिरापुरम में 56 एमएलडी का एक एसटीपी है। इनमें 182 एमएलडी पानी उपचारित करने के बाद नालों में बहा दिया जाता है, जो आगे हिडन नदी में गिरते हैं। उपचारित पानी का कुछ हिस्सा पार्कों, ग्रीन बेल्ट और सड़क में छिड़काव पर इस्तेमाल किया जाए तो नलकूप से निकले भूजल को बचाया जा सकता है। उससे साढ़े चार हजार से ज्यादा लोगों को पानी की जरूरत पूरी की जा सकती है।

वहीं नगरायुक्त दिनेश चन्द्र का कहना है कि शिकायत के बारे में नहीं मालूम। फिर भी जांच कर ली जाएगी कि छिड़काव में पीने योग्य पानी का इस्तेमाल हो रहा है या नहीं। एसटीपी उपचारित पानी को ही छिड़काव के प्रयोग में लगाया जाएगा।

पर्यावरण एक्टिविस्ट सुशील राघव का कहना है कि उन्होंने अपनी आंखों से देखा है, नगर निगम के टैंकर नलकूप से पीने योग्य पानी भरते हैं। फिर उससे सड़कों पर छिड़काव कर रहे हैं। ऐसा करके सीजीडब्ल्यूबी और एनजीटी के आदेशों का उल्लंघन किया जा रहा है।

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