नई दिल्ली। सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर के जरिए अब तक राजनितिक प्रचार करने वाले नेताओं और पार्टियों के लिए बुरी खबर है। ट्विटर अब किसी भी तरह का राजनीतिक विज्ञापन अपने प्लेफॉर्म पर बैन करने वाला है। ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी ने कहा,” राजनीतिक विज्ञापन, जिसमें गुमराह किए जाने वाले वीडियो और भ्रामक जानकारी का प्रसार शामिल हैं वह भारी पैमाने पर बढ़ रहे हैं।
इस तरह के विज्ञापन बहुत प्रभावी होते हैं। ऐसे विज्ञापन का कारोबार के लिए होना ठीक है लेकिन राजनीति विज्ञापन बहुत जोखिम भरा होता है।” ट्विटर की तरफ से कहा गया है कि 22 नवंबर के बाद से कोई भी राजनितिक प्रचार पर बैन होगा। हालंकि ट्विटर की तरफ से कहा गया है कि इस संबंध में 15 नवंबर को विस्तार से जानकारी दी जाएगी।
हालांकि ट्विटर के इस फैसले के बाद कई राजनीतिक दल और राजनेता इस पर आपत्ति जता रहे हैं।राष्ट्रपति ट्रंप के चुनावी प्रचार के मैनेजर ब्रेड पास्कल ने भी ट्विटर के फैसले पर सवाल उठाया है। उन्होंने इसे ट्रंप और कंज़रवेटिव्स को ख़ामोश करने की कोशिश बताया है। वहीं इसके विपरित ट्रंप के धुरविरोधी जो बाइडन के प्रवक्ता बिल रूसो ने इस फैसले का स्वागत किया है। बिल रूसो ने कहा है कि इससे लोकतंत्र मजबूत होगा।
फेसबुक के फैसले पर असहमति
फेसबुक ने पिछले माह यह घोषणा की थी कि नेताओं और उनके अभियान से जुड़े पोस्ट तकरीबन नियंत्रण मुक्त रहेंगे। जबकि इस कंपनी का पहले इससे उलट रुख था। फेसबुक ने पहले भुगतान वाले सियासी विज्ञापनों पर रोक लगा रखी थी। फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग के इस फैसले को लेकर कंपनी में काम करने वाले लोग ही खुश नहीं है।
जुकरबर्ग के सियासी विज्ञापन संबंधी नीति का फेसबुक कर्मी विरोध कर रहे हैं। इस संदर्भ में 250 से ज्यादा लोगों ने सीईओ मार्क जुकरबर्ग को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है कि राजनेताओं को मनचाहे झूठ कहने की छूट नहीं देनी चाहिए।
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