नई दिल्ली। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने एसिडिटी (गैस-पेट की जलन) के लिए उपयोग में आने वाली दवा रेनिटिडिन (Ranitidine) को लेकर एक गंभीर चेतावनी जारी की है। इसमें कहा गया है कि इस दवा में ऐसे रसायन हैं जिनसे कैंसर हो सकता है। रेनिटिडिन कम कीमत में मिलने वाली काफी पुरानी दवा है। इसके अलग-अलग नाम से कई ब्रांड्स बाजार में मौजूद हैं। दवा को लेकर जारी की गई चेतावनी सभी राज्य सरकारों और राज्य ड्रग कंट्रोलर्स को भी भेजी गई है। राज्य सरकारों से कहा गया है कि वे मरीजों की सुरक्षा के लिए सजग रहें। साथ ही दवा निर्माता कंपनियों से इस बारे में बात करें।
सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन जो भारत में दवाइयों की गुणवत्ता, सुरक्षा और क्षमता को नियंत्रित करता है, उसने इस दवा को विस्तृत जांच करने के लिए विशेषज्ञ समिति के पास भेज दिया है।अब यह समिति रेनिटिडिन के साथ-साथ अलग-अलग ब्रांड नेम से बिक रही इसी दवा की जांच करेगी। हालांकि, अमेरिका के USFDA और यूरोप के EMA ने इस दवा पर प्रतिबंध नहीं लगाया है लेकिन सुरक्षा के मद्देनजर भारतीय ड्रग कंट्रोलर ने लोगों को सजग रहने को कहा है। साथ ही इस दवा को लेकर अपने डॉक्टर से सलाह लेने के कहा है। भारत में इस दवा का उत्पादन करने वाली कंपनियों को तुरंत इसका उत्पादन रोकने को कहा गया है। ड्रग कंट्रोलर के निर्देशों के तहत डॉक्टरों को यह सलाह जारी की गई है कि वे इस दवाई को मरीजों को लेने की सलाह ना दें।
Ranitidine का उपयोग सिर्फ एसिडिटी में ही नहीं होता। इसके अलावा यह आंतों में होने वाले छाले (अल्सर), गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD), इसोफैगिटिस, जॉलिंगर-एलिसन सिंड्रोम आदि में भी उपयोग की जाती है। यह टैबलेट और इंजेक्शन दोनों ही रूपों में बाजार में उपलब्ध है।
दवा में नाइट्रोसेमीन होने की आशंका, जो कैंसर पैदा कर सकती है
अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (USFDA) और यूरोपियन मेडिकल एजेंसी (EMA) ने इस दवा को प्रतिबंधित तो नहीं किया है लेकिन उसे इस बात का शक है कि रेनिटिडिन में नाइट्रोसेमीन नामक रसायन है, जिससे कैंसर हो सकता है। ये दोनों संस्थाएं इस दवा की जांच करा रही है। रेनिटिडिन बाजार में कई नाम से बिक रही है, लेकिन Zantac नाम सबसे ज्यादा विख्यात है।
बिना डॉक्टर की पर्ची के भी मिल रही है ये दवा
रेनिटिडिन शेड्यूल-H के तहत है। यानी इसे खरीदने के लिए डॉक्टर की पर्ची जरूरत है। मतलब जब तक डॉक्टर लिखकर न दे, तब तक कोई दवा की दुकान इसे आपको नहीं देगा। लेकिन देश में कई जगहों पर यह बिना पर्ची के भी आसानी से मिल जाती है। इस दवाई में कैंसर के कारकों का पता सबसे पहले अमेरिका की यूएसएफडीए ने लगाया था।
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