यूरोपीय देशों में शरिया कानून की मांग व इसके कारण

यूरोप में मुस्लिम प्रवासियों की संख्या तेजी से बढ़ी है, जिससे कुछ समुदाय शरिया कानून (इस्लामी कानून) लागू करने की मांग कर रहे हैं। शरिया कानून की यह मांग कई बार स्थानीय कानूनों और सांस्कृतिक परंपराओं से टकराव पैदा करती है। नीचे उन यूरोपीय देशों और कारणों का विश्लेषण है जहाँ शरिया कानून की मांग की जा रही है।
किन देशों में शरिया कानून की मांग हो रही है?
1. यूनाइटेड किंगडम (UK)
मांग
ब्रिटेन में कुछ मुस्लिम समुदाय शरिया कानून को वैकल्पिक न्याय प्रणाली के रूप में लागू करने की मांग कर रहे हैं।
उदाहरण: ब्रिटेन में कई शरिया कोर्ट (इस्लामी मध्यस्थता ट्रिब्यूनल) पहले से ही पारिवारिक विवादों, विवाह, तलाक, और उत्तराधिकार से संबंधित मामलों में फैसले दे रहे हैं।
कारण
मुस्लिम प्रवासियों की बड़ी संख्या।
सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान बनाए रखने की इच्छा।
कुछ मुस्लिम महिलाओं को पारंपरिक इस्लामी कानूनों के तहत न्याय की उम्मीद।
2. फ्रांस
मांग
फ्रांस में शरिया कानून की मांग सीधे तौर पर कम है, लेकिन मुस्लिम समुदाय इस्लामी परंपराओं को लेकर अधिक स्वतंत्रता की मांग कर रहे हैं, जैसे:
हिजाब पहनने की अनुमति।
इस्लामिक कानून के तहत विवाह और तलाक।
कारण
फ्रांस में सख्त धर्मनिरपेक्षता (लैसिटे) कानून लागू है, जो सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक प्रतीकों पर रोक लगाता है।
मुस्लिम समुदाय इसे अपनी धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला मानता है।
3. जर्मनी
मांग
शरिया कानून को मान्यता देने की माँग की गई है, खासकर पारिवारिक और सामाजिक मुद्दों में।
कारण
बड़ी संख्या में सीरिया, अफगानिस्तान, और अन्य मुस्लिम देशों से शरणार्थियों का आगमन।
कुछ समुदायों में अपनी परंपराओं और धार्मिक कानूनों को बनाए रखने की इच्छा।
4. स्वीडन और नीदरलैंड्स
मांग
शरिया कानून को लागू करने की मांग कम है, लेकिन मुस्लिम प्रवासियों द्वारा सांस्कृतिक स्वतंत्रता की वकालत की जाती है।
कारण
सामाजिक असमानता और मुस्लिम समुदायों के खिलाफ भेदभाव।
इस्लामी कानूनों को अपनी पहचान और अधिकारों के संरक्षण का साधन मानना।
मुस्लिम समुदाय शरिया कानून की मांग क्यों करते हैं?
1. धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा
मुस्लिम प्रवासी अपने धर्म और संस्कृति को नई पीढ़ी में बनाए रखना चाहते हैं।
शरिया कानून उनके लिए इस्लामिक जीवनशैली का हिस्सा है, जिसे वे यूरोप में भी कायम रखना चाहते हैं।
2. पारिवारिक कानूनों में अलग व्यवस्था
विवाह, तलाक, और उत्तराधिकार जैसे मामलों में मुस्लिम समुदाय अक्सर शरिया कानून को प्राथमिकता देता है, क्योंकि यह उनके धार्मिक विश्वासों के अनुसार होता है।
कुछ मुस्लिम महिलाएँ शरिया कानून के तहत तलाक और अन्य अधिकारों को आसानी से प्राप्त कर पाती हैं।
3. भेदभाव और असुरक्षा की भावना
यूरोपीय समाज में कई बार मुस्लिम समुदाय भेदभाव का सामना करता है, जिससे वे अपनी पहचान और अधिकारों की रक्षा के लिए शरिया कानून की वकालत करते हैं।
4. धर्मनिरपेक्ष कानूनों से असहमति
यूरोप के धर्मनिरपेक्ष कानूनों और इस्लामी मान्यताओं के बीच कई बार टकराव होता है।
जैसे: समान-लिंग विवाह, गर्भपात, और महिलाओं की स्वतंत्रता के मामले।
5. कट्टरपंथी प्रभाव
कुछ मुस्लिम संगठन कट्टरपंथी विचारधारा का प्रचार करते हैं और इसे शरिया कानून लागू करने के माध्यम से स्थापित करना चाहते हैं।
चुनौतियाँ और प्रभाव
सामाजिक असमानता
शरिया कानून की मांग स्थानीय नागरिकों में असंतोष और सांस्कृतिक टकराव पैदा करती है।
इसे यूरोप के मूल्यों, जैसे: समानता और धर्मनिरपेक्षता, के खिलाफ माना जाता है।
कानूनी टकराव
यूरोप का कानून सार्वभौमिकता और समानता पर आधारित है।
शरिया कानून, जो धार्मिक नियमों पर आधारित है, कई बार इनसे मेल नहीं खाता।
धार्मिक कट्टरता का खतरा
शरिया कानून की मांग कभी-कभी कट्टरपंथी संगठनों के हाथों में एक उपकरण बन जाती है।
यूरोप में शरिया कानून की मांग का आधार मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान है। हालाँकि, यह मांग कई बार स्थानीय कानून और समाज के साथ टकराव पैदा करती है।
यूरोपीय देशों को इस मुद्दे पर संतुलन बनाना होगा, ताकि वे धार्मिक स्वतंत्रता और अपने धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के बीच सामंजस्य स्थापित कर सकें। वहीं, मुस्लिम समुदाय को भी स्थानीय संस्कृति और कानूनों का सम्मान करते हुए अपने अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए।
सहिष्णुता और संवाद के माध्यम से ही इस समस्या का समाधान संभव है।
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