गाजियाबाद। लोनी के सब रजिस्ट्रार (उप निबंधक) प्रथम के खिलाफ सरकारी जमीन भूमाफिया द्वारा खरीदे-बेचे जाने के मामले में प्रशासन ने एफआईआर दर्ज करा दी है। मामले की गंभीरता को देखते हुए डीएम अजय शंकर पांडेय ने शासन से सब रजिस्ट्रार के निलंबन की भी संस्तुति कर दी है। उधर, डीएम के निर्देश पर एसडीएम लोनी ने जमीन की खरीद-बिक्री करने वाले आठ लोगों के खिलाफ अलग से थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। यह पूरी कार्रवाई दो प्रकरणों से जुड़ी उस जांच रिपोर्ट के आने पर की गई है, जिसमें स्पष्ट किया गया कि सरकारी जमीन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बेची गई।
सरकारी जमीन बेचे जाने का पहले मामला लोनी गांव का है। जहां राजस्व अभिलेखों में खसरा संख्या
-1460 पर दर्ज 0.4430 भूमि सार्वजनिक उपयोग के लिए थी। उक्त जमीन को बशीर अहमद पुत्र मोहम्मद यूसुफ निवासी न्यू माडर्न शाहदरा की तरफ से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर इस साल छह मई को हाशिर इकबाल पुत्र बशीर अहमद न्यू मॉर्डन दिल्ली को बेच दी गई। इसी तरह से दूसरे प्रकरण में लोनी गांव के ही खाता संख्या-995 की खसरा संख्या 1200, 1209, 1258, 1205 व 1229 पर दर्ज भूमि आयुक्त मेरठ मंडल ने पूर्व में पारित आदेशों को निरस्त करते हुए राज्य सरकार में निहित कर दी गई थी, लेकिन उक्त भूमि भी फर्जी पावर ऑफ अटार्नी तैयार कर बेच दी गई। जमीन बेचने में पूरे संगठन ने काम किया, जिसका उल्लेख एसडीएम लोनी प्रशांत तिवारी ने जिलाधिकारी को भेजी अपनी रिपोर्ट में किया।
जांच रिपोर्ट में लिखा गया कि अशोक कुमार निवासी मांडला लोनी ने राजेंद्र सिंह पुत्र बाबू राम निवासी रोपण पंजाब निवासी की तरफ से पावर ऑफ अटार्नी (मुख्तयारे आम) दिखाकर हेमलता पत्नी नरेश कुमार सागर लक्ष्मी नगर दिल्ली, सीमा पत्नी रविंद्र कुमार निवासी फिरोजपुर तहसील खेकड़ा (बागपत) अंजना जैन पत्नी दीपक जैन निवासी ज्वालानगर शाहदरा दिल्ली, शिल्पी जैन पत्नी मुकेश जैन निवासी ज्योति नगर शाहदरा को विक्रय की गई। हैरत की बात यह है कि वर्ष 2017 में संबंधित जमीन राज्य सरकार में निहित किए जाने के बाद भी माफिया सक्रिय हुए और उन्होंने सिस्टम के साथ सांठगांठ कर जमीन बेच दी।
जांच में सब रजिस्ट्रार की सबसे बड़ी गलती यही मानी गई है कि बिना राजस्व रिकार्ड को देख बैनामा कर दिया। जबकि मौजूदा वक्त में सारी चीज ऑन लाइन सॉफ्टवेयर पर दर्ज है, जिसके माध्यम से एक मिनट में देखा जा सकता है कि बैनामे के लिए लाई गई जमीन राजस्व रिकार्ड में सरकारी संपत्ति तो नहीं है। पावर ऑफ अटार्नी वाले मामलों में स्पष्ट है कि जमीन के रिकार्ड को अनिवार्य तौर पर देखा जाएगा। अगर संदेह लगता है तो तहसील से पूछा जाएगा। उसके बाद ही बैनामा होगा लेकिन सब रजिस्ट्रार ने सभी नियम कायदों को दरकिनार किया।
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