प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को एक कार्यक्रम मेंकहा कि यह एक नया भारत है जहां युवाओं के सरनेम मायने नहीं रखते हैं। यह वह भारत है जहां भ्रष्टाचार कभी भी विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछले कई वर्षों से एक दोषपूर्ण संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा था, जिसमें महत्वाकांक्षा एक खराब शब्द बन गया था। उपनाम और संपर्क के आधार पर ही दरवाजे खुलते थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगों और संगठनों के बीच संवाद अवश्य होना चाहिए, भले ही उनके सोचने का तरीका कुछ भी हो। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें हर बात पर सहमत होने की जरूरत नहीं है, सार्वजनिक जीवन में इतनी सभ्यता होनी चाहिए कि विभिन्न विचारधाराओं के लोग एक दूसरे को सुन सकें।
कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि लाइसेंस राज और परमिट राज की आर्थिक संस्कृति व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के आड़े आ रही थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले सफलता इस बात पर निर्भर करती थी कि क्या आप किसी विशिष्ट वर्ग से ताल्लुक रखते हैं या नहीं। बड़े शहर, बड़ी संस्थाएं और बड़े परिवार ही मायने रखते थे।
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