जीडीए के प्रवर्तन में तैनात अभियंताओं की मनमानी के चलते मोरटा स्थित सेंट जेवियर स्कूल के विद्यार्थियों की पढ़ाई करीब डेढ़ महीने बाधित रही। यही नहीं अभियंताओं की गैरजिम्मेदाराना हरकत पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए इस मामले में स्कूल पर लगी सील को फौरन हटाने का आदेश दिया। कोर्ट के इस फैसले से जीडीए को अपनी कार्रवाई को वापस लेना पड़ा।
मोरटा स्थित सेंट जेवियर स्कूल करीब 80 हजार वर्गमीटर क्षेत्रफल में बना हुआ है। इस स्कूल का संचालन रामफल त्यागी, कश्मीरी देवी चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है। दो जुलाई को जोन दो के अधिशासी अभियंता आरके सिंह की अगुआई में जीडीए की टीम ने इस स्कूल को बिना मानचित्र के निर्माण का दोषी मानते हुए सील गला दिया था। इस कार्रवाई के विरोध में स्कूल के संचालक रामफल त्यागी हाईकोर्ट चले गए।
हाईकोर्ट में दो न्यायधीशों की बेंच प्रदीप कुमार सिंह बघेल और पियुष अग्रवाल ने सुनवाई की। पीड़ित की ओर से अधिवक्ता अमित मनोहर ने कोर्ट में पैरवी की। सुनवाई के बाद दोनों न्यायधीशों ने अपने आदेश में तत्काल प्रभाव से स्कूल की सील हटाने का आदेश दिया।
पीड़ित पक्ष की ओर से अधिवक्ता ने जिरह करते हुए कहा कि सेंट जेवियर स्कूल मोरटा क्षेत्र में रामफल त्यागी कश्मीरी देवी चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम से संचालित है। इसका नक्शा पास है। जीडीए में पाड़ित ने कुछ दिनों बाद संशोधित नक्शा पेश किया था। इसके तहत कंपाउडिंग के नाम पर स्कूल संचालक की ओर से पांच लाख रुपये जीडीए के खाते में जमा कराए गए थे। इसके बावजूद जुलाई में अभियंताओं ने ममनमाने तरीके से सील लगा दी।
याचिका में यह भी कहा गया है कि शासन के आदेश के तहत 6 साल से 14 साल के बीच सभी बच्चों को शिक्षा का अधिकार है। एक महीने स्कूल बंद होने की वजह से बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। इसलिए स्कूल को बंद रखना ठीक नहीं होगा। इस मसले में आगे की सुनवाई होती रहेगी लेकिन स्कूल की सील खोलकर यहां पठन-पाठन का व्यवस्था ठीक कराई जाए। इस आदेश के बाद जीडीए को अपनी कारवाई को लेकर मुंह को खानी पड़ी है।
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