प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जल संचयन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे को मुख्य धारा में लाने के बाद भी तालाबों को सहेजने और संवारने को लेकर सरकारी अमला कितना गंभीर है, इसका बड़ा उदाहरण मोदीनगर के भोजपुर में देखने को मिला है। कब्जेदार के चार बार मुकदमा हारने के बावजूद तहसील प्रशासन 40 साल में भी तालाब की जमीन को कब्जा मुक्त नहीं करा पाया। वह धड़ल्ले से जमीन में खेती कर प्रतिवर्ष लाखों की कमाई कर रहा है। वहीं, प्रशासन के इस उदासीन रवैये के प्रति ग्रामीणों में रोष व्याप्त है।
भोजपुर के तालाब की भूमि पर पिछले 40 साल से गांव के ही एक दबंग का कब्जा है। इस जमीन में ईख, धान और अन्य फसलों की पैदावार हो रही है। तहसील के रिकॉर्ड के मुताबिक, इसकी शिकायत ग्रामीणों ने तहसील प्रशासन से की तो उसकी विभागीय जांच कराई गई। उसमें अवैध कब्जे की बात की पुष्टि हो गई। मामले को लंबा खींचने के लिए आरोपित ने कोर्ट में वाद दायर कर दिया। कमिश्नरी से लेकर हाई कोर्ट तक आरोपित को चार बार हार का मुंह देखना पड़ा। इसके बावजूद ग्रामीणों की बार-बार शिकायत पर भी तहसील प्रशासन ने तालाब की जमीन को कब्जा मुक्त कराने की जहमत नहीं उठाई।
अपनी जांच रिपोर्ट में अधिकारी लगातार यह तो मानते रहे कि भोजपुर में खसरा नंबर 135 तालाब के नाम पर दर्ज है, लेकिन इसे कब्जामुक्त कराने के लिए किसी भी स्तर से पहल नहीं हुई।इसी बीच न जाने कितने अधिकारियों के तबादले हो गए। ग्रामीण इसकी मांग को पुरजोर तरीके से उठाते भी रहे, लेकिन रसूखदारी और मिलीभगत के खेल के सामने सब कुछ कागजों तक ही सिमटा रहा।
आरोपित का तालाब की चार बीघा जमीन पर ही कब्जा नहीं है। बल्कि खसरा नंबर 128 की करीब 16 बीघा जमीन पर भी अवैध कब्जा है। इस जमीन में लगातार फसलें लहलहा रही हैं। फसलों की उपज लेकर आरोपित इस जमीन से 40 साल में करोड़ों रुपये कमा चुका है।
सरकार की तालाबों की सहेजने, उन्हें जीवित करने तथा एंटी भूमाफिया के तहत की जाने वाली कार्रवाई भी भोजपुर के तालाब व बंजर की जमीन पर हो रहे अवैध कब्जे के सामने बौनी नजर आती है। किसी भी स्तर से आरोपित के खिलाफ अब तक कार्रवाई नहीं होने से ग्रामीणों का सरकार और सिस्टम से मन खट्टा हो रहा है।
क्या कहता है प्रशासन
एसडीएम सदर डीपी सिंह का कहना है कि तालाब और बंजर की जमीन पर अवैध कब्जे का मामला मेरी जानकारी में है। इस जमीन को कब्जामुक्त कराने के लिए पुलिस के अधिकारियों को पत्र लिखकर उनसे पुलिस बल की मांग भी की गई थी। लेकिन चुनाव के कारण पुलिस बल उपलब्ध नहीं हो पाया था। तालाब की जमीन को जल्द कब्जा मुक्त कराया जाएगा। मामले में अब से पहले क्या हो रहा था, इसमें ज्यादा कुछ नहीं कह सकता।
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