जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रा पर आतंकी खतरे के मद्देनजर श्रद्धालुओं और पर्यटकों को घाटी से जल्द निकलने संबंधी सिक्यॉरिटी अडवाइजरी से वहां तमाम तरह की अफवाहें फैल रही हैं। घाटी में तरह-तरह की झूठी सूचनाएं फैल रही हैं, जिसका सक्षम अधिकारियों द्वारा खंडन हो रहा है। खुद गवर्नर सत्यपाल मलिक ने पिछले 24 घंटों में 2 बार कश्मीरियों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें। शनिवार को राजभवन ने स्पष्ट किया कि जवानों की तैनाती पूरी तरह सुरक्षा उद्देश्य से की गई है, संवैधानिक प्रावधानों में बदलाव जैसी कोई बात नहीं है।
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने नैशनल कॉन्फ्रेंस के एक प्रतिनिधिमंडल को शनिवार को बताया कि राज्य को संवैधानिक प्रावधानों में किसी भी बदलाव के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने यह भरोसा दिया कि अतिरिक्त अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती विशुद्ध रूप से सुरक्षा कारणों से उठाया गया कदम है। बता दें कि घाटी में हालिया गतिविधियों को कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संवैधानिक प्रावधानों आर्टिकल 35-A और आर्टिकल 370 को खत्म करने की तैयारी से जोड़कर देखा जा रहा है।
राजभवन की ओर से यहां जारी एक बयान में कहा गया है कि राज्यपाल ने पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अगुआई में प्रतिनिधिमंडल को बताया कि सुरक्षा स्थिति इस तरह से पैदा हुई है जिस पर तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता थी। राज्यपाल ने प्रतिनिधिमंडल को बताया, ‘अमरनाथ यात्रा पर आतंकवादी हमलों के संबंध में सुरक्षा एजेंसियों को विश्वसनीय जानकारी मिली थी। नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान की ओर से गोलाबारी बढ़ा दी गई है, जिसका सेना प्रभावी ढंग से जवाब दे रही है।’ इससे पहले शुक्रवार देर रात महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व में कुछ नेताओं ने राज्यपाल से मुलाकात की थी और उस वक्त भी उन्होंने अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की थी।
राज्यपाल मलिक ने कहा कि सेना के कोर कमांडर और राज्य पुलिस द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई थी, जिसमें उन्होंने बताया कि आतंकवादियों के नापाक मंसूबे को कैसे नाकाम किया गया और साथ ही उन्होंने बरामद किए गए हथियार एवं गोला-बारूद भी दिखाए। जम्मू कश्मीर के राज्यपाल ने कहा है कि संवैधानिक प्रावधानों में किसी तरह के बदलाव के बारे में राज्य को कोई जानकारी नहीं है और इसलिए सैनिकों की तैनाती के इस सुरक्षा मामलों को अन्य सभी प्रकार के मामलों के साथ जोड़ कर बेवजह भय नहीं पैदा किया जाना चाहिए।
मलिक ने कहा कि यह राज्य की जिम्मेदारी है कि वह अपने सभी नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करें। इसलिए, ऐहतियाती उपाय के तौर पर यत्रियों और पर्यटकों को लौटने के लिए कहा गया है। राज्यपाल ने राज्य के राजनीतिक दलों के नेताओं से कहा है कि वे अपने समर्थकों से शांत रहने और घाटी में ‘बढ़ा-चढ़ा कर फैलाई गई अफवाहों’ पर विश्वास न करने के लिए कहें।
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