वेस्ट दिल्ली के सांसद प्रवेश वर्मा ने जिन 54 मस्जिदों, कब्रिस्तानों की लिस्ट दिल्ली के एलजी को दी थी और यह आरोप लगाया था कि इन्हें सरकारी जमीनों पर अवैध रूप से बनाया गया है, उन सभी की जांच की गई और पाया गया कि इनमें से कोई भी अवैध नहीं है।’ यह कहना है दिल्ली माइनॉरिटी कमिशन (डीएमसी) द्वारा बनाई गई एक 5 सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग कमिटी का।
गुरुवार को इस कमिटी ने डीएमसी में एक प्रेस कॉफ्रेंस कर अपनी रिपोर्ट जारी की। कमिटी ने डीएमसी को अपनी ओर से इस रिपोर्ट पर ऐक्शन लेने के लिए 8 सिफारिशें भी पेश की हैं। इनके बारे में कमिशन के चेयरमैन जफरुल इस्लाम ने कहा कि इनका अध्ययन करके फैसला लिया जाएगा।
नवभारत टाइम्स के मुताबिक कमिटी का दावा है कि लिस्ट में दिए पते के आधार पर 58 मस्जिदों, 3 मजारों, 3 कब्रिस्तानों और 1 इमामबाड़े का दौरा किया। इनमें से 2 कब्रिस्तान, 2 मस्जिद और 1 मदरसा तो वक्फ बोर्ड का ही निकला। एक मस्जिद तो 425 साल पुरानी निकली। 7 मस्जिदें डीडीए, डुसिब और ग्राम सभा द्वारा अलॉट की गई जमीन पर बने मिले। 23 मस्जिदें और 1 इमामबाड़ा ऐसा मिला जिनके लिए जमीन अलॉटमेंट की ऐप्लीकेशंस संबंधित अथॉरिटीज के पास कई दशकों से लंबित पड़ी हैं। 6 मस्जिदें और 1 मदरसा प्राइवेट जमीन को खरीदकर बनाए गए हैं। 1 मस्जिद और 1 मजार का मामला कोर्ट में है।
रिपोर्ट में खासतौर से लिस्ट में दिए गए दो मजारों के जिक्र करते हुए बताया गया कि फैक्ट फाइंडिंग कमिटी ने पाया कि इन दोनों ही मजारों को अब मंदिरों में तब्दील कर दिया गया है। 8 ऐसी जगहें लिस्ट में मिलीं जिनका या तो अड्रेस गलत था या वहां खाली प्लॉट पड़ा था।
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