अब बिल्डर हाई-राइज सोसाइटीज में पॉवर बैकअप के नाम पर मनमाने चार्ज नहीं वसूल पाएंगे। NPCL यानी नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड एक ऐसे मीटर की टेस्टिंग पर काम कर रही है जिससे बिल्डर आपसे पावर बैकअप (डीजी) के नाम पर ज्यादा चार्ज नहीं वसूल पाएंगे। अगर ये टेस्टिंग सफल होती है तो कम खर्च में भी आपको खर्च हुई बिजली का पूरा ब्योरा मिल सकेगा।
आपको बता दें कि नोएडा, गाज़ियाबाद और गुरुग्राम समेत एनसीआर क्षेत्र की लगभग सभी हाई-राइज सोसाइटीज में डीजी से ज्यादा चार्ज का खेल लंबे समय से चल रहा है। आमतौर पर बिजली कंपनियों से 6.50-7/ यूनिट का खर्च आता है जबकि पॉवर बैकअप (डीजी) से चलने पर खर्च करीब 15-16/यूनिट आता है और होम बायर्स से करीब 18-22/यूनिट चार्ज किया जाता है। बिल्डर्स की इसी मनमानियों पर लगाम कसने के लिए NPCL नया मीटर लेकर आ रही है। इसकी खासियत ये है कि एक ही मीटर से आप आसानी से रिचार्ज कर पाएंगे जिसमें सप्लाई और डीजी से मिलने वाली बिजली का पूरा ब्योरा आपको आसानी से मिल सकेगा।
NPCL के जीएम एसएन गांगुली ने बताया कि दरअसल पहले डीजी से सप्लाई होने वाली बिजली पर नजर रखने के लिए 2 वायरिंग का प्लान बना था। जिसकी एक वायरिंग से मीटर से सप्लाई की बिजली आएगी तो दूसरी वायरिंग से डीजी की। दोनों में प्रीपेड मीटर लगने थे। लेकिन, यह बेहद महंगा प्लान था और बिल्डर्स ने बायर्स को करीब 50-60 हजार का खर्च बताया था, जिसे ज्यादातर होम बायर्स ने पूरी तरह से नकार दिया था। अब ऐसे मीटर लगाने पर विचार किया जा रहा है जिसमें 2 रिचार्ज और 2 रजिस्टर्ड का रिकॉर्ड रखा जा सकेगा ताकि होम बायर्स को किसी तरह की तकलीफ न हो। यानी साफ है कि सोसाइटीज में ऐसा प्रावधान देने पर काम हो रहा है जिससे बायर्स को ग्रिड सप्लाई और डीजी सप्लाई का पूरा रिकॉर्ड देखने को मिल सके। हालांकि, गांगुली बताते है कि फिलहाल ऐसी टेक्नोलॉजी देश में नहीं है और कई कंपनियां इस पर काम करने को राजी नहीं हो रहे हैं। यही वजह है कि इजराइल से सॉफ्टवेयर लेकर इस पर रिसर्च का काम जारी है।
सएन गांगुली के मुताबिक, मीटर की टेस्टिंग करने के लिए ग्रेटर नोएडा की एक सोसाइटी में इस पर काम किया जा रहा है जिसमें काफी मुश्किलें भी आ रही हैं। इसके लिए बेसमेंट में बने इंफ्रा को काफी तेजी से बदला जा रहा है। हालांकि, इसका पूरा कंट्रोल NPCL के हाथों में होगा और 24×7 यानी किसी भी समय रिचार्ज करवाया जा सकेगा। अभी जो कॉन्सेप्ट मिला है उस पर काम काफी तेजी से हो रहा है लेकिन कितना समय लगेगा, अभी कहना मुश्किल है। अंदाजे से देखा जाए तो इस काम को पूरा करने के लिए अभी कम से कम 3-4 महीने का समय लगेगा।
जीएम एसएन गांगुली की मानें तो इस पूरे काम पर कितना खर्चा आएगा, कहना मुश्किल है। क्योंकि, अभी मीटर कंपनियों, सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनियों और जहां मीटर लगाना है, वहां कितना इंफ्रास्ट्रक्चर बदलना पड़ेगा और उसकी क्या कीमत होगी यह कहना मुश्किल है। फिलहाल रिसर्च का काम जारी है और टेस्टिंग के बाद ही इसकी लागत पर काम शुरू होगा।
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