कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) मेडिकल स्कीम के सदस्यों और उनके परिजनों को अब हेल्थ पासबुक मिलेगी। इस हेल्थ पासबुक से ही सदस्य अपना इलाज करा सकेंगे। पासबुक में ही सदस्य (आईपी यानी बीमित कर्मचारी) का पूरा ब्योरा होगा और मेडिकल इतिहास भी होगा। साथ ही प्रदेश के जिन शहरों में बीमा अस्पताल या डिस्पेन्सरी नहीं है, वहां पर निजी डॉक्टर इसी हेल्थ पासबुक से सदस्यों का कैशलेस इलाज करेंगे।
ईएसआईसी के प्रदेशभर में 20 लाख सदस्यों और उनके परिजनों को क्यूआर कोडेड पासबुक दिए जाने का काम शुरू हो गया है। इसमें सदस्य का ईएसआईसी मेडिकल स्कीम का नंबर भी दर्ज होगा। पहले सदस्यों को एसिक कार्ड पर इलाज मिलता रहा है लेकिन कुछ साल पहले ईएसआई कारपोरेशन ने इसे बंद कर दिया है। अब उसकी जगह पर हेल्थ पासबुक योजना को लांच किया गया है। पासबुक नियोक्ता और ईएसआईसी के शाखा कार्यालय ही जारी करेंगे। इसके अलावा किसी को इसका अधिकार नहीं दिया गया है। पासबुक के ऊपर स्टिकर में पात्रता दर्ज की जाएगी।
ईएसआईसी मेडिकल स्कीम प्रदेश के 41 जिलों में लागू है और 34 जिलों में चरणबद्ध तरीके से लागू की जा रही है। बीमा अस्पताल और डिस्पेन्सरी प्रदेश के कुछ ही जिलों में है इसलिए वहां पर ईएसआईसी ने निजी डॉक्टरों से करार कर सदस्यों को इलाज देने की शुरुआत कर दी है। निजी डॉक्टर वहां पर सदस्यों को कैशलेस इलाज देंगे। इसी कड़ी में अब ईएसआईसी ने केमिस्ट यानी मेडिकल स्टोर संचालकों से भी करार करने की पहल की है। निजी डॉक्टर सदस्यों या उनके परिजनों को दवाएं लिखेंगे, उन्हें मेडिकल स्टोर संचालक फ्री में देंगे और फिर कारपोरेशन में बिल लगाकर भुगतान लेंगे।
ईएसआईसी के अधीक्षक अमित तिवारी ने बताया कि हेल्थ पासबुक का वितरण क्रम शुरू किया जा रहा है। सदस्यों को जागरूक करने के लिए भी काम हो रहा है। इस पासबुक से लाखों आईपी को फायदा होगा।
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