देश की सबसे बड़ी अदालत ने बच्चों के खिलाफ बढ़ते यौन अपराधों को देखते हुए आदेश दिया है कि जिन जिलों में ऐसे 100 से ज्यादा मामले लंबित हैं वहां पर 60 दिनों के भीतर विशेष पॉक्सो कोर्ट बनाए जाएं। जिला एवं सत्र न्यायालय गाज़ियाबाद में वर्ष 2012 से विशेष पॉक्सो एक्ट कोर्ट चल रही है। अभी तक अपर जिला अदालत के अन्य केसों के साथ ही विशेष पॉक्सो एक्ट कोर्ट के केसों की भी सुनवाई होती थी, लेकिन 16 अप्रैल से इस कोर्ट को बिल्कुल अलग कर दिया गया है। वहीं बृहस्पतिवार को आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब जिले में अलग से स्पेशल पॉक्सो एक्ट कोर्ट का गठन किया जाएगा। जहां अलग से जज, वकील और कर्मचारियों की नियुक्तियां की जाएंगी।
सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को आदेश पारित किया कि 100 से अधिक केसों की सुनवाई के लिए हर जिले में एक विशेष पॉक्सो एक्ट कोर्ट बनाई जाए। जिससे शिकायतों के निस्तारण में देर न हो। गाजियाबाद में करीब 1400 पॉक्सो एक्ट के मुकदमे अदालत में विचाराधीन हैं। हालांकि जिले में सात सालों से पॉक्सो एक्ट कोर्ट बनी हुई है, लेकिन पिछले दिनों तक इस कोर्ट के केस अपर जिला न्यायालय में चलने वाले अन्य केसों के साथ ही विचारण में आते हैं।
विशेष जिला शासकीय अधिवक्ता पॉक्सो एक्ट रणवीर सिंह डागर ने बताया कि 16 अप्रैल से एडीजे-8 प्रिति श्रीवास्तव प्रथम की अदालत में पॉक्सो एक्ट के केसों की सुनवाई हो रही है। एक दिन में 40 से अधिक केसों की सुनवाई होना नियत होता है। वहीं, उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश के मुताबिक अब पॉक्सो एक्ट के केसों के लिए अलग से अदालत बनाई जाएगी। इसका सारा खर्चा केंद्र सरकार द्वारा तय किया जाएगा।
POCSO एक्ट का पूरा नाम ‘The Protection Of Children From Sexual Offences Act’ है। पोक्सो एक्ट-2012 को बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न अपराधों को रोकने के लिए, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने बनाया था। वर्ष 2012 में बनाए गए इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है।