16 जुलाई को साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लगने वाला है। यह चंद्र ग्रहण कई मायनों में खास रहने वाला है। इस बार चंद्र ग्रहण पर वही दुर्लभ योग बन रहे हैं जो 149 साल पहले 12 जुलाई, 1870 को 149 साल पहले गुरु पूर्णिमा पर बने थे। बता दें, इस बार 16 जुलाई और 17 जुलाई की मध्यरात्रि में खंडग्रास चंद्रग्रहण रात 1 बजकर 31 मिनट से शुरू होकर सुबह 4 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। ग्रहण की अवधि लगभग 2 घण्टे और 59 मिनट तक रहेगी।
यह ग्रहण उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के प्रथम चरण में स्पर्श करके उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के द्वितीय चरण में समाप्त होगा। इस चंद्र ग्रहण का सूतक 16 जुलाई की शाम 4 बज कर 31 मिनट से शुरू हो जाएगा। यह चंद्र ग्रहण पूरे भारत में देखा जा सकता है। लेकिन देश के पूर्वी क्षेत्र में स्थित बिहार, असम, बंगाल और उड़ीस में ग्रहण की अवधि में ही चंद्र अस्त हो जाएगा।
वैसे तो ग्रहण के पीछे वैज्ञानिक कारण हैं, लेकिन धार्मिक मान्यताओं में ग्रहण का विशेष महत्व है। ग्रहण काल को अशुभ माना गया है। सूतक की वजह से इस दौरान कोई भी धार्मिक कार्य नहीं किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं में विश्वास रखने वाले लोग ग्रहण के वक्त शिव चालिसा का पाठ कर सकते हैं। साथ ही ग्रहण खत्म होने के बाद नहाकर गंगा जल से घर का शुद्धिकरण किया जाता है। फिर पूजा-पाठ कर दान-दक्षिणा देने का विधान है।
गर्भवती महिलाएं रखें ख़ास ध्यान – ग्रहण के सूतक काल में गर्भवती महिलाओं को ख़ास ध्यान रहना चाहिए। ग्रहण की पूरी अवधि में उन्हें घर के अन्दर ही रहना चाहिए, ताकि उनपर ग्रहण की छाया न पड़े।
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