कैंसर शरीर की कोशिकाओं की अचानक वृद्धि होना है, जब शरीर के किसी अंग की कोशिकाओं में आसामान्य रूप से बढ़त होने लगती है और इसके प्रभाव से अंग ख़राब होने लगते हैं, तो इसे कैंसर कहा जाता है। कैंसर शरीर में किसी भी स्थान पर हो सकता है। लेकिन कुछ प्रकार के कैंसर ज्यादा दर्ज किये जाते हैं, जैसे दुनिया भर में महिलाओं में स्तन कैंसर सबसे ज्यादा आम है। कैन्सर की जाँच व उपचार जितना ही जल्दी आरम्भ हो जाये, परिणाम उतने ही अच्छे होने की संभावना है।
कैन्सर के लक्षण हैं-
* कोई गांठ या उभार जो शरीर में अचानक ही दिखाई पड़ने लगे।
* घाव/जख्म विशेषकर ऐसा जिसके किनारे उठे हों तथा बाहर की ओर उल्टे हों जिससे जख्म का रूप * गोभी के फल जैसा दिखता हो।
* बिना किसी कारण के शरीर से रक्तस्राव या तरल पदार्थ का निकलना।
* त्वचा में कोई भी परिवर्तन का दिखाई देना।
* खांसी आना तथा गेले की आवाज का कर्कश होना (हारस्नेस ऑफ वॉयस)
* मल में परिवर्तन जैसे गोल-गोल पिण्डों के रूप में या उसका रंग सामान्य से लाल कालापन लिये होना।
* बिना कारण अचानक वजन का कम होने लगना या सिर में लगातार दर्द होना।
कैंसर के प्रकार-
मुँह का कैंसर, स्तन कैंसर, त्वचा का कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, ओवेरियन कैंसर, त्वचा का कैंसर, हड्डियों का कैंसर, ब्रेन कैंसर, गले का कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, पैनक्रियाटिक कैंसर,ब्लड कैंसर।
आमतौर पर कैंसर की चिकित्सा के लिए इन विधियों का सहारा लिया जाता है-
1. शल्य चिकित्सा (Surgery): इस विधि द्वारा कैंसर से प्रभावित भाग को काटकर शरीर से अलग करके निकाल दिया जाता है। इसका प्रयोग स्तन, मुँह, फेफड़ों, ओवेरियन आदि के लिए किया जाता है।
2. विकिरण चिकित्सा (Radiation therapy) : इस विधि में कैंसर को जलाने के लिये एक्स-रे या अन्य कोबाल्ट 60 रेडियम आदि की विकिरणों का उपयोग किया जाता है। विकिरण के प्रभाव से प्रभावित ऊतक के साथ-साथ सामान्य ऊतक की कोशिकाएँ भी मर जाती हैं।
3. औषधियों द्वारा (Medicine) : इसे रासायनिक साधन चिकित्सा (कीमोथिरेपी) भी कहा जाता है। इसमें लगभग 50 से अधिक औषधियों का प्रयोग कैंसर कोशिकाओं को प्रभावित करने के लिए किया जाता है। ये सारी दवाइयां जहरीली होती हैं तथा इनके साइड इफेक्ट्स जैसे उल्टी आना, बालों का गिर जाना आदि की संभावना रहती है।
अत्याधुनिक अनुसंधान से जुड़ी इन विधियों का सहारा भी लिया जाता है-
बायो रिस्पॉन्स मोडीफायर थेरेपी – ये शरीर के प्रतिरोधी क्षमता तंत्र को उत्तेजित करके कैंसर कोशिकाओं को नष्ट देता है। इनका निर्माण जैवप्रौद्योगिकी (Biotechnology), आण्विक जीव विज्ञान (Molecular biology) की विधियों द्वारा किया जाता है।
डिफरेन्शियेटिंग एजेन्ट्स – ये एक नई श्रेणी की औषधियाँ बनाई जाती हैं जो कैंसर वाली कोशिकाओं को सामान्य कोशिकाओं में परिवर्तित कर देती हैं। इसका प्रयोग गर्भाशय, त्वचा आदि के कैंसर के उपचार हेतु किया जा रहा है।
रोगक्षमता विज्ञान (Immunology)- अनेक कैंसर कोशिकाओं में कुछ ऐसे पदार्थ होते हैं जो शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ा देते हैं, जिससे कैंसर से बचाव संभव हो सकता है।
पोषण – विटामिन ए व सी की भारी मात्रा का प्रयोग कैंसर को रोक सकती है। गोभी, बंधा, पालक, गाजर, फल, आटे की ब्रेड, अनाज, सी-फूड भी कैन्सर को रोकने में सहायक हो सकते हैं। कम वसा का सेवन भी कैंसर को रोकता है।
बिमारियों से बचने के लिए व्यक्ति को धूम्रपान से बचना चाहिए, वसायुक्त भोजन को भी त्यागना होगा, स्वस्थ भोज्य पदार्थ जैसे फल, सब्जियाँ आदि प्रचुर मात्रा में प्रयोग करें, मोटापे को न आने दें, समय पर वजन चेक करते रहें और नियमित रूप से व्ययायाम करें।
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