अयोध्या चैत्र शुक्ल नवमी को राम जन्मोत्सव के पावन अवसर पर अयोध्या में एक अनुपम दृश्य उपस्थित हुआ, जब रामलला की जन्मभूमि पर श्रद्धालुओं की आस्था का महासागर उमड़ पड़ा। सर्वार्थ सिद्धि योग में जन्मे मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के दर्शन के लिए लाखों भक्तों ने राम मंदिर की ओर रुख किया और पूरे दिन मंदिर परिसर में भक्ति, उल्लास और व्यवस्था की एक आदर्श मिसाल दिखाई दी।
सुबह मंगला आरती और श्रृंगार के बाद जैसे ही सुबह छह बजे राम मंदिर के पट खुले, रामलला ने पूरे 16 घंटे तक बिना विश्राम भक्तों को दर्शन दिए। रविवार को न केवल मध्याह्न बंदी को स्थगित किया गया, बल्कि दिन भर दर्शन पूरी निर्बाधता से चलते रहे। रामनवमी पर लगभग ढाई लाख श्रद्धालुओं ने रामलला के दर्शन किए, जबकि शनिवार को यह संख्या 90 हजार के आसपास थी।
सुरक्षा और व्यवस्था का अद्भुत समन्वय
रामनवमी के आयोजनों को देखते हुए प्रशासन और राम मंदिर ट्रस्ट के बीच अभूतपूर्व समन्वय देखा गया। शनिवार से ही अयोध्या नगरी किले में तब्दील हो चुकी थी। रामपथ और रामजन्मभूमि पथ पर बैरिकेडिंग कर सख्त सुरक्षा घेरा बना दिया गया।
भीड़ नियंत्रण और वीवीआईपी आवागमन को सुगम बनाने के लिए सामान्य श्रद्धालुओं के निकासी मार्ग में परिवर्तन किया गया। अंगद टीला परिसर के गेट को बंद कर उन्हें वीवीआईपी गेट संख्या तीन से बाहर निकाला गया, जबकि विशिष्ट अतिथियों को गेट संख्या 11 से प्रवेश दिया गया। इसके बावजूद अंगद टीला स्थित सीता रसोई से भोजन प्रसाद वितरण लगातार जारी रहा।
आधुनिक तकनीक और आध्यात्मिकता का संगम
श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने और सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु पांच ड्रोन से रामजन्मभूमि परिसर की निगरानी की गई। एक विशेष ड्रोन श्रद्धालुओं पर सरयू जल का छिड़काव कर उन्हें आध्यात्मिक अनुभव प्रदान कर रहा था, जो तकनीक और भक्ति के सुंदर संगम का प्रतीक बना।
एसपी सुरक्षा बलरामाचारी दुबे के अनुसार, भक्तों की संख्या में कमी आने के बाद दोपहर तीन बजे से पुनः अंगद टीले की ओर से निकासी आरंभ की गई। रात दस बजे तक दर्शन चलते रहे और शयन आरती में भी श्रद्धालु रामलला के दर्शन कर धन्य होते रहे।
एक अनुपम आयोजन की पूर्णता
रामनवमी के इस ऐतिहासिक पर्व का सफल आयोजन IG प्रवीण कुमार और SSP राजकरन नय्यर के नेतृत्व में संपन्न हुआ। अयोध्या नगरी ने दिखा दिया कि श्रद्धा और व्यवस्था यदि साथ हो तो कोई भी आयोजन दिव्य और सफल बन सकता है।
रामलला के जन्मोत्सव पर उमड़ी यह भक्ति की बाढ़ न केवल धर्मप्रेमियों के लिए यादगार बनी, बल्कि विश्व को एक संदेश भी दे गई—जहां आस्था है, वहां व्यवस्था अपने आप मूर्त रूप ले लेती है।
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