भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने एक बार फिर केंद्र सरकार की जीएसटी नीति पर तीखा प्रहार किया है। सिंगापुर की प्रसिद्ध डोनट चेन ‘मैड ओवर डोनट्स’ को 100 करोड़ रुपये के टैक्स नोटिस मिलने के बाद, कांग्रेस ने इसे जीएसटी प्रणाली की खामियों का एक और उदाहरण बताया है। पार्टी का कहना है कि यह ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ (व्यवसाय करने में आसानी) के दावों की असली तस्वीर उजागर करता है।
पॉपकॉर्न के बाद डोनट्स पर टैक्स विवाद
कांग्रेस महासचिव और पार्टी के मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक मीडिया रिपोर्ट साझा करते हुए कहा कि जीएसटी प्रणाली की जटिलता व्यापारियों और उपभोक्ताओं के लिए परेशानी का सबब बन गई है। उन्होंने लिखा, “पॉपकॉर्न के बाद अब डोनट्स पर भी जीएसटी का असर पड़ रहा है। ‘मैड ओवर डोनट्स’ को 100 करोड़ रुपये के टैक्स नोटिस का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उस पर व्यवसाय का गलत वर्गीकरण करने का आरोप लगाया गया है।”
दरअसल, कंपनी ने डोनट्स को रेस्तरां सेवा के रूप में दिखाकर 5% जीएसटी अदा किया, जबकि बेकरी उत्पादों पर 18% जीएसटी लागू होता है। इस विवाद के चलते मामला बॉम्बे हाईकोर्ट तक पहुँच चुका है।
क्या जीएसटी प्रणाली में सुधार की ज़रूरत?
कांग्रेस लंबे समय से जीएसटी की मौजूदा प्रणाली की आलोचना कर रही है। पिछले साल दिसंबर में पार्टी ने कहा था कि पॉपकॉर्न जैसी चीजों पर तीन अलग-अलग टैक्स स्लैब (5%, 12% और 18%) सरकार की नीतिगत जटिलता को दर्शाते हैं। कांग्रेस का तर्क है कि यह कर प्रणाली व्यापारियों के लिए भ्रम और अनुपालन की मुश्किलें बढ़ा रही है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में कहा था कि आने वाले समय में जीएसटी दरों में और कमी लाई जाएगी। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस ने कहा कि केवल दरों में कमी से समस्या हल नहीं होगी, बल्कि जीएसटी प्रणाली को मूलभूत रूप से सरल और कम दंडात्मक बनाने की ज़रूरत है।
कांग्रेस की जीएसटी 2.0 की मांग
कांग्रेस का कहना है कि 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए अपने घोषणापत्र में उसने ‘जीएसटी 2.0’ की परिकल्पना की थी, जो एक ‘अच्छा और सरल कर’ (गुड एंड सिंपल टैक्स) होगा। जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस इस दृष्टिकोण के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है और व्यापारियों की समस्याओं को देखते हुए जीएसटी 2.0 को लागू करने की वकालत करती है।
सरकार के लिए चेतावनी या सुधार का संकेत?
इस पूरे विवाद के बीच एक सवाल उठता है—क्या मौजूदा जीएसटी प्रणाली वास्तव में जटिल है और इसे सुधारने की आवश्यकता है? या फिर यह सिर्फ राजनीतिक बहस का हिस्सा है? सरकार को चाहिए कि वह व्यापारियों और उद्योगपतियों की चिंताओं को गंभीरता से सुने और यदि सुधार की आवश्यकता है, तो उसे जल्द से जल्द लागू करे।
कुल मिलाकर, कांग्रेस और केंद्र सरकार के बीच जीएसटी को लेकर चल रही यह बहस आम जनता और व्यापारियों के लिए महत्वपूर्ण है। क्या सरकार इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम उठाएगी या यह विवाद यूं ही चलता रहेगा, यह देखने वाली बात होगी।
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