भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार वजह उनकी गेंदबाजी नहीं, बल्कि उनका रोजा न रखना है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने इस मुद्दे पर टिप्पणी की है, जिससे विवाद खड़ा हो गया है। उन्होंने कहा कि शमी ने खेल के दौरान रोजा न रखकर गलत किया और यह शरीयत के खिलाफ है।
मौलाना का बयान और विवाद
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा, “रमजान के दौरान रोजा रखना इस्लाम का अनिवार्य कर्तव्य है। अगर कोई स्वस्थ व्यक्ति रोजा नहीं रखता, तो वह अपराधी होगा। चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल मैच के दौरान मोहम्मद शमी ने पानी पिया, जिससे गलत संदेश जाता है। शरीयत की नजर में यह अपराध है और उन्हें खुदा को जवाब देना होगा।”
यह बयान तब आया जब सेमीफाइनल मैच के दौरान शमी की एनर्जी ड्रिंक पीते हुए एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई। इस पर कई लोगों ने अपनी राय रखी। कुछ ने मौलाना के बयान का समर्थन किया, तो कुछ ने इसे अनावश्यक विवाद बताया।
समर्थन और विरोध के स्वर
सोशल मीडिया पर शमी के समर्थन में भी आवाजें उठीं। एक यूजर ने कहा, “देश हमेशा धर्म से बड़ा होता है। खिलाड़ी के लिए फिटनेस और परफॉर्मेंस प्राथमिकता होती है।” वहीं, कई लोगों ने इस विवाद को गैरजरूरी बताया और कहा कि खेल के मैदान में खिलाड़ियों को अपनी सेहत के अनुसार निर्णय लेने की पूरी आज़ादी होनी चाहिए।
मैच में शमी का शानदार प्रदर्शन
इस विवाद के बीच, मोहम्मद शमी ने चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल में शानदार गेंदबाजी की। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 10 ओवर में 48 रन देकर तीन महत्वपूर्ण विकेट लिए, जिसमें कपूर कोनोली, कप्तान स्टीव स्मिथ और नाथन एलिस शामिल थे। मैच के बाद शमी ने कहा, “मैं अपनी लय में वापसी कर रहा हूं और टीम के लिए योगदान देने की पूरी कोशिश कर रहा हूं। जब टीम में अन्य विशेषज्ञ तेज गेंदबाज नहीं होते, तो जिम्मेदारी बढ़ जाती है। मैं अपना शत प्रतिशत देने का प्रयास कर रहा हूं।”
शमी की वापसी और चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल
गौरतलब है कि वनडे वर्ल्ड कप 2023 में चोटिल होने के बाद शमी को सर्जरी करानी पड़ी थी। इसके बाद उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ टी20 सीरीज में वापसी की थी। चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में भारत का मुकाबला न्यूजीलैंड से दुबई में होगा।
खेल बनाम धर्म: क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
इस तरह के विवाद पहले भी कई खिलाड़ियों के साथ हुए हैं, जहां उनके धर्म और खेल के बीच संतुलन को लेकर सवाल उठे हैं। खेल विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी खिलाड़ी को अपनी फिटनेस और प्रदर्शन के अनुसार निर्णय लेने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।
मोहम्मद शमी का यह विवाद खेल और धर्म के बीच बहस को एक बार फिर ताजा कर गया है। जहां एक ओर धार्मिक कर्तव्यों को निभाने की बात की जा रही है, वहीं दूसरी ओर पेशेवर खेल के प्रति प्रतिबद्धता भी महत्वपूर्ण है। इस मुद्दे पर लोगों की राय बंटी हुई है, लेकिन अंततः एक खिलाड़ी के रूप में शमी का प्रदर्शन ही उनकी असली पहचान है।
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