टाटा समूह के स्वामित्व वाली एयरलाइन एयर इंडिया ने बुधवार (5 मार्च) को एक सख्त कदम उठाते हुए अपने एक प्रशिक्षक पायलट की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। इसके साथ ही, प्रशिक्षक पायलट के अधीन प्रशिक्षण ले रहे 10 अन्य पायलटों को भी जांच लंबित रहने तक उड़ान ड्यूटी से हटा दिया गया है।
व्हिसलब्लोअर की शिकायत के बाद कार्रवाई
एयर इंडिया ने यह कदम एक व्हिसलब्लोअर द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों के बाद उठाया। शिकायत में कहा गया था कि सिम्युलेटर प्रशिक्षक पायलट अपने कर्तव्यों का सही तरीके से निर्वहन करने में विफल रहा है। इस आरोपों की विस्तृत जांच की गई, जिसमें पाया गया कि प्रशिक्षक पायलट की लापरवाही के स्पष्ट प्रमाण मौजूद हैं।
डीजीसीए को दी गई जानकारी
एयर इंडिया ने इस मामले में विमानन नियामक डीजीसीए को भी जानकारी दे दी है। डीजीसीए ने इस मामले में आगे आने वाले व्हिसलब्लोअर की सराहना की और कहा कि इस तरह की पारदर्शिता से विमानन उद्योग में सुरक्षा और गुणवत्ता बनी रहेगी।
एयर इंडिया की छवि पर प्रभाव
हाल के दिनों में एयर इंडिया को लेकर कई नकारात्मक खबरें सामने आई हैं, जिससे इसकी साख को नुकसान पहुंचा है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी एयर इंडिया में सफर के अपने नकारात्मक अनुभव को सोशल मीडिया पर साझा किया था। उन्होंने एयरलाइन की आलोचना करते हुए कहा था कि उन्हें टूटी हुई सीट दी गई थी, जिससे यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को लेकर गंभीर सवाल उठे। इस मुद्दे के उठने के बाद नागरिक उड्डयन मंत्री ने तुरंत कार्रवाई का आश्वासन दिया।
यात्रियों की सुरक्षा और सेवा पर उठते सवाल
एयर इंडिया पर लगातार यात्रियों की सुरक्षा और सेवा को लेकर सवाल उठते रहे हैं। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि एयरलाइन इस मामले में आगे क्या कदम उठाती है और अपनी छवि सुधारने के लिए क्या प्रयास करती है।
एयरलाइन उद्योग में सुरक्षा और गुणवत्ता सर्वोपरि होती है, और इस तरह के मामलों पर कड़ी कार्रवाई से यह संदेश जाता है कि सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
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