भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता एनआर रमेश ने इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष और जाने-माने टेक्नोलॉजिस्ट सैम पित्रोदा पर बेंगलुरु में 12.35 एकड़ सरकारी जमीन को अवैध रूप से हड़पने का गंभीर आरोप लगाया है। इस जमीन की कीमत 150 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
भाजपा नेता के आरोप
भाजपा नेता और बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के पूर्व पार्षद एनआर रमेश का दावा है कि सैम पित्रोदा ने वन विभाग के पांच वरिष्ठ अधिकारियों की मदद से बेंगलुरु के येलहंका क्षेत्र में आरक्षित वन भूमि को अवैध रूप से अपने कब्जे में लिया। रमेश ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और कर्नाटक लोकायुक्त में शिकायत दर्ज कराते हुए इस मामले में आपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की है।
रमेश का आरोप है कि 23 अक्टूबर 1993 को सैम पित्रोदा ने मुंबई में फाउंडेशन फॉर रिवाइटलाइजेशन ऑफ लोकल हेल्थ ट्रेडिशन (एफआरएलएचटी) नामक एक संगठन पंजीकृत कराया था। इस संगठन के माध्यम से उन्होंने कर्नाटक राज्य वन विभाग से औषधीय पौधों के संरक्षण और अनुसंधान के नाम पर आरक्षित वन क्षेत्र को पट्टे पर आवंटित करने का अनुरोध किया था।
रमेश के अनुसार, इस अनुरोध पर कार्रवाई करते हुए वन विभाग ने 1996 में बेंगलुरु के जराकबांडे कवल के ‘बी’ ब्लॉक में 12.35 एकड़ आरक्षित वन भूमि को पांच वर्षों के लिए पट्टे पर दिया था। यह पट्टा 2001 में समाप्त हो गया था, लेकिन इसे अगले 10 वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया। हालाँकि, भाजपा नेता का कहना है कि यह पट्टा 2 दिसंबर 2011 को समाप्त हो चुका है, लेकिन वन विभाग ने पिछले 14 वर्षों में इस भूमि को वापस लेने की कोई कार्रवाई नहीं की।
सैम पित्रोदा की सफाई
भाजपा नेता के आरोपों का जवाब देते हुए सैम पित्रोदा ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर सफाई दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत में उनके पास न तो कोई जमीन है, न घर, और न ही कोई स्टॉक। उन्होंने कहा कि वे कभी भी किसी भी प्रकार की अनैतिक गतिविधियों में शामिल नहीं रहे हैं।
उन्होंने कहा, “भारत में टेलीविजन और प्रिंट मीडिया में हाल में आई रिपोर्टों के मद्देनजर मैं स्पष्ट रूप से यह कहना चाहता हूं कि भारत में मेरे पास कोई जमीन, घर या शेयर नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने अपने पूरे जीवन में कभी रिश्वत नहीं दी और न ही कभी रिश्वत ली है।
राजनीतिक विवाद और आगे की जांच
इस पूरे मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है। भाजपा नेता ने इसे एक बड़ा घोटाला करार दिया है, जबकि कांग्रेस समर्थक इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बता रहे हैं। भाजपा नेता रमेश का कहना है कि इस मामले की गहराई से जांच होनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। वहीं, ईडी और कर्नाटक लोकायुक्त इस शिकायत की समीक्षा कर रहे हैं और आगे की जांच की संभावना जताई जा रही है।
अब देखना यह होगा कि क्या इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई होती है या यह महज एक राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप बनकर रह जाता है।
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