भारत के लिए गर्व का क्षण है क्योंकि असम की प्रसिद्ध वाइल्डलाइफ बायोलॉजिस्ट डॉ. पूर्णिमा देवी बर्मन को TIME मैगजीन ने अपनी 2025 की ‘वुमन ऑफ द ईयर’ सूची में शामिल किया है। वे इस प्रतिष्ठित सूची में स्थान पाने वाली एकमात्र भारतीय महिला हैं। उनका नाम विश्व की प्रभावशाली महिलाओं के साथ जुड़कर न केवल भारतीय वन्यजीव संरक्षण आंदोलन को एक नई ऊँचाई पर ले गया है, बल्कि उनके समर्पण और अथक प्रयासों को अंतरराष्ट्रीय मान्यता भी दिलाई है।
हरगिला संरक्षण आंदोलन की नेता
डॉ. पूर्णिमा देवी बर्मन को लुप्तप्राय ग्रेटर एडजुटेंट स्टॉर्क (हरगिला) को बचाने के उनके उल्लेखनीय प्रयासों के लिए जाना जाता है। उन्होंने महिलाओं के नेतृत्व में एक अनूठा संरक्षण अभियान चलाया, जिसे ‘हरगिला आर्मी’ के नाम से जाना जाता है। इस आर्मी में लगभग 10,000 महिलाएँ शामिल हैं, जो हरगिला पक्षी के प्रजनन स्थलों की सुरक्षा के लिए समर्पित हैं। ये महिलाएँ स्थानीय स्तर पर संरक्षण कार्यों में जुटी हैं, घायल पक्षियों की देखभाल करती हैं, वृक्षारोपण करती हैं और समुदाय को वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूक बनाती हैं।
डॉ. बर्मन ने न केवल पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी, बल्कि इसे महिला सशक्तिकरण से भी जोड़ा। उन्होंने हरगिला पक्षी को सांस्कृतिक पहचान देने के लिए महिलाओं को सारस-थीम वाली कढ़ाई और वस्त्र निर्माण में प्रशिक्षित किया। इससे महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता भी मिली और संरक्षण प्रयासों को और अधिक मजबूती मिली।
प्रकृति से बचपन का लगाव बना प्रेरणा
असम में जन्मी और ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर पली-बढ़ी पूर्णिमा देवी बर्मन को बचपन से ही प्रकृति से गहरा लगाव था। उनकी दादी ने उन्हें पक्षियों और पर्यावरण के महत्व के बारे में समझाया। यही कारण है कि उन्होंने आगे चलकर अपने जीवन को वन्यजीव संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया।
एक अद्वितीय दृष्टिकोण: संरक्षण और महिला सशक्तिकरण का संगम
डॉ. बर्मन का संरक्षण दृष्टिकोण अनूठा है। उन्होंने वन्यजीव बचाने को एक सामुदायिक और सस्टेनेबल आंदोलन में परिवर्तित कर दिया। उनके प्रयासों से ग्रेटर एडजुटेंट स्टॉर्क की स्थिति को ‘एंडेंजर्ड’ से ‘नियर थ्रेटेंड’ में बदलने में मदद मिली, जो कि एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। साथ ही, यह दिखाता है कि पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक प्रगति एक साथ चल सकते हैं।
सम्मान और अंतरराष्ट्रीय मान्यता
डॉ. बर्मन के संरक्षण कार्य को कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है:
नारी शक्ति पुरस्कार (2017): भारत में महिलाओं के लिए सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार।
चैंपियंस ऑफ द अर्थ अवार्ड (2022): संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रदान किया गया सर्वोच्च पर्यावरण सम्मान।
व्हिटली गोल्ड अवार्ड (2024): जिसे ‘ग्रीन ऑस्कर’ के रूप में भी जाना जाता है, यह पुरस्कार जैव विविधता संरक्षण में उनके प्रभावशाली योगदान के लिए दिया गया।
TIME की 2025 की ‘वुमन ऑफ द ईयर’ सूची में स्थान
TIME की इस प्रतिष्ठित सूची में डॉ. बर्मन का नाम हॉलीवुड अभिनेत्री निकोल किडमैन, अमेरिकी जिम्नास्ट जॉर्डन चाइल्स और फूड बैंक लीडर क्लेयर बैबिनॉक्स-फोंटेनोट जैसी विश्व प्रसिद्ध हस्तियों के साथ शामिल हुआ है। यह सम्मान न केवल डॉ. बर्मन के वर्षों के अथक प्रयासों का प्रतीक है, बल्कि भारत के वन्यजीव संरक्षण की दिशा में हो रहे कार्यों को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाता है।
सम्मान समारोह
TIME मैगजीन 25 फरवरी, 2025 को लॉस एंजिल्स में ‘वुमन ऑफ द ईयर लीडरशिप फोरम और गाला’ का आयोजन कर रही है, जहाँ डॉ. पूर्णिमा देवी बर्मन को सम्मानित किया जाएगा। यह अवसर पूरे भारत के लिए गौरवपूर्ण होगा और उन सभी संरक्षणवादियों के लिए प्रेरणा बनेगा जो पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण के लिए समर्पित हैं।
डॉ. पूर्णिमा देवी बर्मन ने यह साबित किया है कि वन्यजीव संरक्षण केवल वैज्ञानिक अध्ययन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे समुदाय की सहभागिता से और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है। उन्होंने हरगिला संरक्षण को एक जनआंदोलन में बदलकर न केवल प्रकृति की रक्षा की बल्कि महिलाओं को भी एक नई पहचान दी। उनका यह सफर आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा और यह दिखाएगा कि सही दिशा में किए गए प्रयास किस तरह समाज और पर्यावरण दोनों को लाभ पहुँचा सकते हैं।
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