यूक्रेन पर रूस के आक्रमण को लेकर अब तक दृढ़ता से यूक्रेन का समर्थन कर रहा अमेरिका अब एक नया रुख अपनाता दिख रहा है। अमेरिकी नीतियों में यह बदलाव अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बड़े बदलाव की ओर संकेत कर रहा है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा में हुए मतदान में अमेरिका ने यूक्रेन समर्थित यूरोपीय देशों के प्रस्ताव के खिलाफ जाकर रूस का साथ दिया है। इससे वैश्विक स्तर पर अमेरिका और यूरोपीय देशों के बीच मतभेद स्पष्ट रूप से सामने आए हैं।
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका का बदला रुख
संयुक्त राष्ट्र महासभा में रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर तीन महत्वपूर्ण प्रस्ताव पेश किए गए। पहला प्रस्ताव यूक्रेन समर्थित था, जिसमें रूस की आक्रामकता की निंदा करते हुए उसकी सेनाओं को तुरंत हटाने की मांग की गई थी। इस प्रस्ताव के पक्ष में 93 वोट पड़े, जबकि 18 देशों ने इसका विरोध किया और भारत समेत 65 देशों ने मतदान से परहेज किया। अमेरिका ने इस प्रस्ताव का विरोध किया, जिससे यह साफ हो गया कि वह अब रूस को सीधे दोष देने से बच रहा है।
इसके बाद, अमेरिका ने खुद का एक नया प्रस्ताव पेश किया, जिसमें युद्ध समाप्त करने की अपील की गई थी, लेकिन रूस की आक्रामकता का कोई जिक्र नहीं था। जब फ्रांस और अन्य यूरोपीय देशों ने इस प्रस्ताव में संशोधन कर रूस को आक्रमणकारी घोषित करने की मांग की, तो अमेरिका ने इस पर मतदान से दूरी बना ली।
यूरोप और अमेरिका के बीच बढ़ता तनाव
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी अमेरिका ने अपने मूल प्रस्ताव पर मतदान कराया, लेकिन 15 सदस्यीय परिषद में केवल 10 देशों ने समर्थन किया, जबकि फ्रांस समेत 5 यूरोपीय देशों ने मतदान से परहेज किया। यह पहली बार है जब रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका अपने यूरोपीय सहयोगियों के खिलाफ कोई कदम उठा रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिका का यह नया रुख वैश्विक राजनीति में नई जटिलताओं को जन्म दे सकता है। यूरोपीय देश अब तक रूस के खिलाफ एकजुट रहे हैं, लेकिन अमेरिका के बदलते रवैये से यह गठबंधन कमजोर हो सकता है। इससे रूस को कूटनीतिक रूप से फायदा मिल सकता है और वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर खुद को मजबूत स्थिति में ला सकता है।
यूक्रेन पर बढ़ता अंतरराष्ट्रीय दबाव
अमेरिका केवल मतदान के स्तर पर ही नहीं, बल्कि राजनयिक स्तर पर भी यूक्रेन पर दबाव डाल रहा है। अमेरिका ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की से यह आग्रह किया है कि वे रूस के साथ बातचीत का रास्ता अपनाएं और युद्ध को समाप्त करने की दिशा में कदम उठाएं। इससे पहले अमेरिका ने यूक्रेन से संयुक्त राष्ट्र में पेश अपने प्रस्ताव को वापस लेने का आग्रह भी किया था, जिसमें रूसी सेना की तत्काल वापसी की मांग की गई थी।
क्या अमेरिका रूस की ओर झुक रहा है?
रूस-यूक्रेन युद्ध के तीन साल पूरे होने के बाद अमेरिका की रणनीति में यह बदलाव कई सवाल खड़े कर रहा है। क्या अमेरिका अब रूस के प्रति नरमी बरत रहा है? क्या यह रुख यूरोप और अमेरिका के रिश्तों में नई खटास ला सकता है? इन सवालों के जवाब आने वाले समय में मिलेंगे, लेकिन इतना तो तय है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में यह घटनाक्रम एक बड़ा बदलाव लेकर आ सकता है।
विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका अब अपने रणनीतिक और आर्थिक हितों को ध्यान में रखते हुए रूस के खिलाफ अपनी सख्ती को कम कर रहा है। यूरोपीय देश जहां अब भी रूस के खिलाफ सख्त रुख अपनाए हुए हैं, वहीं अमेरिका के इस बदले रुख से वैश्विक राजनीति में एक नया संतुलन बनता दिख रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका और यूरोप के बीच यह मतभेद किस दिशा में जाता है और इसका रूस-यूक्रेन युद्ध पर क्या प्रभाव पड़ता है।
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