अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे प्रवासियों का निर्वासन लगातार जारी है। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने दक्षिण अमेरिका, एशिया और यूरोप के सैकड़ों नागरिकों को जबरन देश से निकालकर दूसरे देशों में भेज दिया है। अमेरिकी सरकार इस अभियान पर करोड़ों डॉलर खर्च कर रही है।
हाल ही में, पनामा से कुछ चौंकाने वाली तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें निर्वासित किए गए भारतीयों को एक होटल की खिड़की से मदद की गुहार लगाते देखा जा सकता है। इन तस्वीरों के सामने आने के बाद भारत समेत कई देशों में अमेरिकी सरकार की इस नीति को लेकर नाराजगी जाहिर की जा रही है।
अमेरिका से डिपोर्ट किए गए भारतीयों की दुर्दशा
अब तक, अमेरिका तीन सैन्य विमानों के जरिए 332 भारतीयों को भारत भेज चुका है।
5 फरवरी को पहली फ्लाइट अमृतसर पहुंची, जिसमें 104 प्रवासी शामिल थे। इनमें से 30 पंजाबी थे।
15 फरवरी को 116 और 16 फरवरी को 112 भारतीयों को लेकर अमेरिकी सैन्य उड़ानें भारत पहुंचीं।
हालांकि, बड़ा सवाल यह है कि अमेरिका से निर्वासित भारतीय और अन्य देशों के लोग पनामा में क्यों हैं?
डिपोर्ट किए गए लोगों को पनामा में क्यों रखा जा रहा है?
अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका ने तीन देशों—पनामा, ग्वाटेमाला और कोस्टा रिका—से एक समझौता किया है। इस समझौते के तहत अवैध रूप से रह रहे प्रवासियों को पहले इन देशों में ट्रांजिट पॉइंट के रूप में रखा जा रहा है।
पनामा सरकार ने निर्वासित प्रवासियों को डैकेपोलिस नाम के होटल में रखा है, जहां उन्हें अपने कमरे से बाहर निकलने की अनुमति नहीं है। होटल के बाहर कड़ी पुलिस सुरक्षा है। हाल ही में इसी होटल की खिड़की से कुछ अप्रवासियों को हाथ हिलाकर मदद मांगते देखा गया, जिससे यह साफ होता है कि उनकी स्थिति बेहद दयनीय है।
पनामा सरकार के सुरक्षा मंत्री फ्रैंक अब्रेगो ने कहा कि इन प्रवासियों को हिरासत में नहीं रखा गया है, बल्कि पनामा के नागरिकों की सुरक्षा के लिए उन्हें बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। सरकार उनके लिए भोजन, चिकित्सा और अन्य आवश्यक सुविधाओं की व्यवस्था कर रही है।
कोस्टा रिका में भारतीय प्रवासियों की स्थिति
पश्चिम एशिया (उज्बेकिस्तान, पाकिस्तान, किर्गिस्तान, कजाखस्तान) और भारत के कई प्रवासियों को कोस्टा रिका भेजा गया है। इन लोगों को बॉर्डर के पास एक शरणार्थी कैंप में रखा गया है। कोस्टा रिका सरकार ने स्पष्ट किया है कि वे केवल एक ट्रांजिट पॉइंट के रूप में काम कर रहे हैं और अमेरिका इन लोगों को उनके मूल देश पहुंचाने की पूरी फंडिंग करेगा।
कोस्टा रिका के राष्ट्रपति रोड्रिगो शावेज ने बताया कि वे अमेरिका की मदद इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वे ट्रंप प्रशासन के टैरिफ नियमों की मार नहीं झेलना चाहते। अगर अमेरिका ने कोस्टा रिका के उत्पादों पर टैरिफ लगाया तो इससे देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो सकता है।
अमेरिकी निर्वासन नीति का मकसद क्या है?
अमेरिका में अवैध अप्रवासियों की संख्या 1 करोड़ से अधिक है, जो देश की कुल आबादी का लगभग 3% है।
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि वह इस नीति के जरिए अवैध रूप से आने वाले प्रवासियों को सख्त संदेश देना चाहता है। इसके तहत अमेरिका लातिन अमेरिकी देशों के साथ मिलकर शरणार्थियों और अवैध प्रवासियों की समस्या का स्थायी समाधान निकालने की कोशिश कर रहा है।
अमेरिका की निर्वासन नीति से हजारों प्रवासी प्रभावित हो रहे हैं। भारतीयों समेत कई देशों के नागरिकों को ट्रांजिट पॉइंट के रूप में पनामा और कोस्टा रिका में रखा जा रहा है, जहां उनकी स्थिति बेहद कठिन बनी हुई है। यह पूरी प्रक्रिया मानवाधिकारों पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।
भविष्य में अमेरिकी नीति किस दिशा में जाएगी, यह देखना महत्वपूर्ण होगा, लेकिन फिलहाल निर्वासित भारतीयों की स्थिति चिंता का विषय बनी हुई है।
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