सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वकीलों को सतर्क और सावधान रहने की हिदायत दी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिकाओं में केवल अपना नाम देने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा और यह एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड (एओआर) की स्थापना के मूल उद्देश्य के खिलाफ जाता है।
सुप्रीम कोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणी
जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस अगस्टीन जार्ज मसीह की पीठ ने कहा कि वकीलों को पेशेवर आचरण के उच्च मानक बनाए रखने के लिए बाध्य किया गया है। यदि वे किसी अन्य द्वारा तैयार याचिकाओं, अपीलों या जवाबी हलफनामों पर केवल अपना नाम देते हैं, तो इससे एओआर प्रणाली की प्रभावशीलता प्रभावित होगी।
एओआर की भूमिका और जिम्मेदारी
एओआर वह वकील होता है जो सुप्रीम कोर्ट में मुवक्किलों का प्रतिनिधित्व करने के लिए अधिकृत होता है। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता इस अदालत से न्याय केवल एओआर के माध्यम से ही मांग सकता है, जब तक कि वह व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्णय न ले। इस प्रकार, एओआर की भूमिका न्यायिक प्रक्रिया में अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है।
आचार संहिता का उल्लंघन और वरिष्ठ अधिवक्ता पदनाम प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी एओआर के लिए आचार संहिता और वरिष्ठ अधिवक्ता पदनाम की प्रक्रिया से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान की। अदालत ने पाया कि एक वरिष्ठ अधिवक्ता और एओआर ने कई क्षमा याचिकाओं में तथ्यों को दबाने का प्रयास किया। इस पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर की।
वरिष्ठ अधिवक्ता पदनाम पर पुनर्विचार की आवश्यकता
पीठ ने वकीलों को वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित करने की प्रक्रिया पर गंभीर आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। न्यायालय ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इस प्रक्रिया में कोई खामी न रह जाए। इसके साथ ही, इस मुद्दे को प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना को संदर्भित कर दिया गया, ताकि यह तय किया जा सके कि इस पर बड़ी पीठ द्वारा सुनवाई की जानी चाहिए या नहीं।
साक्षात्कार प्रक्रिया पर सवाल
न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता पदनाम के लिए उम्मीदवारों के साक्षात्कार प्रक्रिया पर भी आपत्ति व्यक्त की। कोर्ट ने कहा कि केवल साक्षात्कार के आधार पर किसी उम्मीदवार के व्यक्तित्व या उसकी उपयुक्तता का सही आकलन किया जा सकता है या नहीं, इस पर संदेह है। न्यायालय ने यह भी कहा कि इस प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए इसमें आवश्यक सुधार करने की जरूरत है।
न्यायिक प्रक्रिया में वकीलों की भूमिका
सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी से यह स्पष्ट है कि न्यायिक प्रक्रिया में वकीलों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है और उन्हें अपने दायित्वों को गंभीरता से लेना चाहिए। पेशेवर आचरण में कोई भी लापरवाही न केवल न्याय प्रणाली को कमजोर कर सकती है, बल्कि न्याय की मांग करने वाले नागरिकों के विश्वास को भी प्रभावित कर सकती है।
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