उत्तर प्रदेश विधानसभा में महाकुंभ को लेकर चल रही चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि महाकुंभ केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति का गौरवशाली प्रतीक है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस आयोजन को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम और अफवाहें करोड़ों लोगों की आस्था का अपमान हैं।
महाकुंभ: आस्था का महापर्व
मुख्यमंत्री ने बताया कि अब तक महाकुंभ में 56 करोड़ से अधिक श्रद्धालु स्नान कर चुके हैं, जो इसकी विशालता और लोकप्रियता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ किसी सरकार का आयोजन नहीं है, बल्कि यह सनातन परंपरा और संस्कृति की पहचान है। इस पर राजनीति करना उचित नहीं है और जो लोग इसे लेकर अनर्गल आरोप लगा रहे हैं, वे वास्तव में सनातन धर्म का अपमान कर रहे हैं।
विपक्ष के आरोपों पर सीधा हमला
योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी (सपा) सहित अन्य विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि वे पहले दिन से ही महाकुंभ का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी के महाकुंभ को ‘मृत्युकुंभ’ कहे जाने पर नाराजगी जताई। इसी तरह, उन्होंने राजद नेता लालू प्रसाद यादव द्वारा महाकुंभ को ‘फालतू’ कहने और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के भगदड़ को लेकर दिए गए बयान की भी आलोचना की। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर सनातन संस्कृति का पालन करना अपराध है, तो वह यह अपराध हजार बार करेंगे।
सपा पर तंज, अखिलेश यादव पर कटाक्ष
मुख्यमंत्री ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जो लोग महाकुंभ का विरोध कर रहे थे, वे खुद चुपचाप जाकर वहां स्नान कर आए। उन्होंने कहा कि महान कार्य हमेशा तीन चरणों से गुजरते हैं – पहले उनका उपहास किया जाता है, फिर उनका विरोध होता है, और अंततः उन्हें स्वीकार कर लिया जाता है।
उर्दू और अंग्रेजी को लेकर विवाद
विधानसभा की कार्यवाही के दौरान जब नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने सदन की कार्यवाही में उर्दू भाषा को शामिल करने की मांग उठाई, तो इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भड़क उठे। उन्होंने कहा कि सपा नेता अपने बच्चों को अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ाते हैं, लेकिन जनता को उर्दू पढ़ाने पर जोर देते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सपा नेता देश को कठमुल्लापन की ओर ले जाना चाहते हैं।
संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने भी इस मुद्दे पर स्पष्ट किया कि सरकार अंग्रेजी को किसी पर नहीं थोप रही है और हिंदी को कमजोर नहीं किया जा रहा। उन्होंने कहा कि सदस्यों को अवधी, ब्रज, बुंदेली और भोजपुरी में बोलने की स्वतंत्रता है, लेकिन सदन का कार्य हिंदी में ही चलेगा।
बिजली के निजीकरण पर विपक्ष और सरकार आमने-सामने
सदन में बिजली के निजीकरण का मुद्दा भी छाया रहा। विपक्ष ने आरोप लगाया कि इससे बिजली की कीमतें बढ़ जाएंगी और सरकारी विभागों को नुकसान होगा। ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि 2017 में जब भाजपा सरकार सत्ता में आई थी, तब बिजली विभाग पर 1.42 लाख करोड़ रुपये का घाटा था। उन्होंने कहा कि सरकार सुधार के प्रयास कर रही है और निजीकरण से जनता को 24 घंटे बिजली देने में मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि कर्मचारियों के हितों की पूरी रक्षा की जाएगी।
योगी सरकार का बजट होगा जनकल्याणकारी
उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले मीडिया से बात करते हुए कहा कि यूपी का आगामी बजट जन कल्याणकारी होगा। इसमें गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों का विशेष ध्यान रखा जाएगा और ढांचागत विकास को प्राथमिकता दी जाएगी।
विधानसभा अध्यक्ष की अपील
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सभी सदस्यों से आग्रह किया कि वे सदन की गरिमा बनाए रखें और सुचारू रूप से कार्यवाही चलने दें। उन्होंने कहा कि विपक्ष को अपनी जिम्मेदारी को सही तरीके से निभाना चाहिए और जहां जरूरत हो, वहां सरकार की आलोचना करनी चाहिए।
महाकुंभ को लेकर राजनीति गर्माती जा रही है, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ कर दिया है कि यह आयोजन किसी सरकार का नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति का उत्सव है। विपक्ष की आपत्तियों और आलोचनाओं के बावजूद, महाकुंभ की भव्यता और इसके प्रति जनता की आस्था अटूट बनी हुई है। वहीं, विधानसभा में उर्दू और अंग्रेजी भाषा के मुद्दे, बिजली के निजीकरण और बजट को लेकर भी गरमागरम बहस जारी है। अब देखना होगा कि सरकार अपने वादों को कैसे पूरा करती है और विपक्ष अपनी रणनीति को कैसे आगे बढ़ाता है।
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