हिंदू धर्म में माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। यह दिन पवित्रता, दान, जप-तप और मोक्ष की प्राप्ति का अवसर माना जाता है। इस वर्ष माघ पूर्णिमा का महत्व और अधिक बढ़ गया है क्योंकि 144 वर्षों के बाद माघ पूर्णिमा और महाकुंभ का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस अवसर पर श्रद्धालु त्रिवेणी संगम और गंगा समेत अन्य पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित करेंगे।
माघ पूर्णिमा और महाकुंभ का संयोग
महाकुंभ में अब तक चार पवित्र स्नान हो चुके हैं और अब माघ पूर्णिमा पर पांचवां स्नान संपन्न होगा। यह स्नान धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इस दिन त्रिवेणी संगम में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन देवता भी गंगा स्नान करने के लिए धरती पर अवतरित होते हैं और त्रिवेणी संगम में जप-तप करते हैं।
माघ पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ पूर्णिमा तिथि 11 फरवरी को सुबह 6:55 बजे से प्रारंभ होकर 12 फरवरी को शाम 5:22 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, माघ पूर्णिमा का पर्व और व्रत 12 फरवरी को मनाया जाएगा।
स्नान का ब्रह्म मुहूर्त:
पंचांग के अनुसार, माघ पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 5:19 बजे से 6:10 बजे तक रहेगा। इस दौरान महाकुंभ में स्नान करना सर्वाधिक पुण्यदायी माना गया है।
विशेष योग और उनका प्रभाव
माघ पूर्णिमा के दिन कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है, जो इस पर्व के महत्व को और बढ़ा देते हैं। इस दिन सौभाग्य योग, शोभन योग, शिववास योग, गजकेसरी योग और त्रिग्रही योग बन रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इन शुभ योगों में स्नान, दान और जप-तप करने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
माघ पूर्णिमा का धार्मिक महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन देवी-देवता भी गंगा स्नान करने के लिए पृथ्वी पर आते हैं। इसलिए यह माना जाता है कि जो श्रद्धालु इस दिन स्नान, जप, तप और दान करते हैं, उन्हें दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है।
महाकुंभ के दौरान माघ पूर्णिमा का स्नान अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि यह मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन त्रिवेणी संगम में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मा शुद्ध होती है।
क्या इस बार होगा अमृत स्नान?
महाकुंभ में अमृत स्नान का विशेष महत्व होता है, जो तब होता है जब सूर्य मकर राशि में और गुरु वृषभ राशि में स्थित होते हैं। इस बार माघ पूर्णिमा के दिन गुरु का गोचर तो वृषभ राशि में रहेगा, लेकिन भगवान सूर्य कुंभ राशि में चले जाएंगे। इसी कारण से माघ पूर्णिमा का स्नान अमृत स्नान नहीं माना जा रहा है, लेकिन फिर भी यह अत्यंत पुण्यकारी रहेगा।
माघ पूर्णिमा और महाकुंभ का यह पावन संयोग श्रद्धालुओं के लिए विशेष अवसर लेकर आया है। इस दिन त्रिवेणी संगम में स्नान कर पुण्य अर्जित करने की मान्यता है। शुभ मुहूर्त में किए गए स्नान, जप, तप और दान से जीवन में सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति संभव मानी जाती है। इस पावन दिन का अधिक से अधिक लाभ उठाने के लिए श्रद्धालु गंगा स्नान और दान-पुण्य में हिस्सा लेंगे, जिससे उनकी आध्यात्मिक यात्रा और भी प्रबल होगी।
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