विजय माल्या, जो लंबे समय से भारतीय बैंकों के बड़े कर्जदार और भगोड़ा घोषित किए जा चुके हैं, ने बुधवार को कर्नाटक हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की है। इस याचिका में उन्होंने दावा किया है कि बैंकों ने उनसे उनकी वास्तविक देनदारी से कहीं अधिक राशि वसूल कर ली है। माल्या ने अदालत से अनुरोध किया है कि बैंक उनके द्वारा वसूली गई कुल राशि का पूरा ब्योरा प्रस्तुत करें।
क्या है विजय माल्या का दावा?
माल्या ने अपनी याचिका में कहा है कि बैंकों का उन पर 6,200 करोड़ रुपये का कर्ज था, लेकिन विभिन्न माध्यमों से यह राशि कई गुना अधिक वसूल की जा चुकी है। उन्होंने बैंकिंग संस्थानों से यूनाइटेड ब्रेवरीज होल्डिंग्स लिमिटेड (यूबीएचएल) और अन्य देनदारों से वसूली गई कुल राशि का लेखा-जोखा मांगा है। हाई कोर्ट ने उनकी याचिका पर संज्ञान लेते हुए बैंकों को नोटिस जारी किया है और उन्हें 13 फरवरी तक जवाब देने का निर्देश दिया है।
अंतरिम राहत की मांग
माल्या की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता साजन पूवैया ने अदालत में दलील पेश की। उन्होंने बताया कि किंगफिशर एयरलाइंस और उसकी होल्डिंग कंपनी यूबीएचएल के खिलाफ परिसमापन आदेश को सुप्रीम कोर्ट समेत सभी न्यायिक स्तरों पर बरकरार रखा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि बैंकों ने जो कर्ज दिया था, उसे पहले ही वसूल किया जा चुका है, फिर भी बैंकों द्वारा लगातार अतिरिक्त वसूली की जा रही है।
याचिका में यह भी मांग की गई है कि संशोधित वसूली प्रमाणपत्र के तहत बैंकों द्वारा किसी भी प्रकार की परिसंपत्ति की आगे बिक्री पर तत्काल रोक लगाई जाए।
वसूली का गणित: कितना वसूला गया?
माल्या के वकील ने अदालत को बताया कि ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) ने मुख्य देनदार के रूप में किंगफिशर एयरलाइंस और गारंटीकर्ता के रूप में यूबीएचएल को 6,200 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया था। यह आदेश पहले ही पूरी तरह से लागू हो चुका है।
हालांकि, वसूली अधिकारी के अनुसार, 2017 से अब तक कई बार यह राशि वसूल की जा चुकी है।
6,200 करोड़ रुपये की मूल देनदारी के स्थान पर
10,200 करोड़ रुपये की वसूली की पुष्टि की गई
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार संसद में दी गई जानकारी के अनुसार 14,000 करोड़ रुपये वसूल किए जा चुके हैं।
क्या होगा आगे?
माल्या के इस दावे के बाद अब सभी की निगाहें कर्नाटक हाई कोर्ट पर टिकी हैं। यदि अदालत उनके पक्ष में कोई आदेश देती है, तो इससे बैंकों की कार्यप्रणाली और वसूली प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े हो सकते हैं। दूसरी ओर, यदि बैंक अदालत में यह साबित कर देते हैं कि वसूली सही तरीके से हुई है, तो माल्या को कोई राहत मिलने की संभावना कम होगी।
अब देखना यह होगा कि 13 फरवरी तक बैंक किस तरह का जवाब पेश करते हैं और क्या विजय माल्या को उनकी याचिका से कोई राहत मिलती है या नहीं।
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