पिछले कुछ दशकों में वैश्विक स्तर पर कई बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ा है। हृदय रोग और मधुमेह जैसी समस्याओं के साथ-साथ थायरॉइड विकार भी तेजी से बढ़ते देखे जा रहे हैं। थायरॉइड ग्रंथि से जुड़ी समस्याओं के कारण शरीर में कई तरह की असमानताएं उत्पन्न हो सकती हैं, जो हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं।
थायरॉइड क्या है?
थायरॉइड हमारे गले में स्थित तितली के आकार की एक ग्रंथि है, जो मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने वाले हार्मोन्स का उत्पादन करती है। ये हार्मोन हृदय गति, शरीर के तापमान और वजन को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। गलत जीवनशैली, असंतुलित खान-पान और कुछ पर्यावरणीय कारक इस ग्रंथि के कार्य में बाधा डाल सकते हैं, जिससे थायरॉइड विकार बढ़ते जा रहे हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, यहां तक कि शिशुओं में भी यह समस्या देखी जा सकती है।
थायरॉइड विकारों के संकेत और लक्षण
आमतौर पर लोग वजन बढ़ने या कम होने को ही थायरॉइड की समस्या से जोड़ते हैं, लेकिन इसके कई अन्य लक्षण भी होते हैं, जिन पर हमारा ध्यान नहीं जाता।
1. वजन में अचानक बदलाव
हाइपरथायरायडिज्म: यदि आपका वजन बिना किसी कारण तेजी से घट रहा है, तो यह हाइपरथायरायडिज्म का संकेत हो सकता है। इस स्थिति में थायरॉइड ग्रंथि अत्यधिक हार्मोन का उत्पादन करने लगती है।
हाइपोथायरायडिज्म: यदि आपका वजन लगातार बढ़ रहा है, तो यह हाइपोथायरायडिज्म का लक्षण हो सकता है। इसमें थायरॉइड ग्रंथि पर्याप्त हार्मोन का उत्पादन नहीं करती, जिससे मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है।
2. मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
हाइपरथायरायडिज्म में चिंता, चिड़चिड़ापन और घबराहट की समस्या हो सकती है।
हाइपोथायरायडिज्म में थकान, सुस्ती और एकाग्रता में कमी देखने को मिल सकती है।
3. त्वचा, बाल और नाखूनों पर असर
हाइपोथायरायडिज्म के कारण त्वचा रूखी, मोटी और पपड़ीदार हो सकती है।
नाखून कमजोर होकर टूट सकते हैं।
बाल झड़ने की समस्या भी आम हो सकती है।
4. आवाज में बदलाव और गले की समस्या
यदि आपकी आवाज भारी हो रही है या गले में लगातार खराश बनी हुई है, तो यह थायरॉइड ग्रंथि में सूजन (गोइटर) का संकेत हो सकता है।
थायरॉइड विकारों के कारण
आनुवंशिक कारण – यदि परिवार में किसी को थायरॉइड की समस्या है, तो अगली पीढ़ी में भी इसका खतरा बढ़ सकता है।
आयोडीन की कमी – आयोडीन की अपर्याप्त मात्रा थायरॉइड विकार का मुख्य कारण हो सकती है।
ऑटोइम्यून बीमारियां – हाशिमोटो डिजीज और ग्रेव्स डिजीज जैसी बीमारियां थायरॉइड की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकती हैं।
तनाव और असंतुलित जीवनशैली – अत्यधिक मानसिक और शारीरिक तनाव थायरॉइड विकारों को बढ़ा सकता है।
थायरॉइड से बचाव और नियंत्रण के उपाय
संतुलित आहार लें
आयोडीन युक्त नमक का सेवन करें।
हरी पत्तेदार सब्जियां, फल और नट्स का सेवन करें।
जंक फूड और प्रोसेस्ड फूड से बचें।
नियमित व्यायाम करें
योग और ध्यान से तनाव को कम किया जा सकता है।
शारीरिक सक्रियता मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने में मदद करती है।
नियमित जांच कराएं
थायरॉइड हार्मोन की नियमित जांच करवाते रहें।
यदि कोई असामान्यता महसूस हो, तो डॉक्टर से परामर्श लें।
थायरॉइड विकार तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है, लेकिन सही समय पर पहचान और उचित इलाज से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। यदि आपको ऊपर बताए गए लक्षणों में से कोई भी महसूस होता है, तो डॉक्टर से परामर्श जरूर करें और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
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