डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में सत्ता में वापसी के बाद से दुनियाभर के बाजारों में हलचल देखने को मिल रही है। भारतीय शेयर बाजार भी इससे अछूता नहीं रहा। बुधवार को सेंसेक्स और निफ्टी में करीब 1% की गिरावट दर्ज की गई। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन की टैरिफ नीतियों और संभावित आर्थिक फैसलों को लेकर अनिश्चितता ने निवेशकों की चिंता बढ़ाई है।
सुबह की सतर्क शुरुआत बुधवार सुबह भारतीय बाजार ने सतर्क शुरुआत की। दोनों प्रमुख सूचकांक—सेंसेक्स और निफ्टी—लगभग सपाट कारोबार कर रहे थे। सुबह 9:18 बजे: निफ्टी 50 में 0.25% की तेजी दर्ज की गई। बीएसई सेंसेक्स 0.09% ऊपर था। प्री-ओपन में सेंसेक्स 188 अंक (0.24%) बढ़कर 77,261 पर था। निफ्टी 50 में 76 अंक (0.33%) की बढ़त के साथ 23,421 पर कारोबार कर रहा था।
तेजी से गिरावट का दौर हालांकि, बाजार में यह स्थिरता ज्यादा देर तक कायम नहीं रह सकी। सुबह 10:30 बजे: सेंसेक्स 812.40 अंक (1.05%) गिरकर 76,261.04 पर पहुंच गया। निफ्टी 189.20 अंक (0.81%) की गिरावट के साथ 23,155.55 अंकों पर आ गया।
ट्रंप की नीतियों का असर डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में किसी भी सख्त टैरिफ नीति का ऐलान नहीं किया है, लेकिन उनके आर्थिक फैसलों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। कनाडा और मैक्सिको पर 25% टैरिफ की संभावना: यह संकेत देता है कि टैरिफ नीति को धीरे-धीरे लागू किया जाएगा। डॉलर पर प्रभाव: ट्रंप की नीतियों के कारण डॉलर इंडेक्स में 108.43 की कटौती देखी गई। बॉन्ड यील्ड में गिरावट: 10 वर्षीय बॉन्ड यील्ड घटकर 4.54% पर आ गई है।
“अफवाहों पर खरीदें और समाचार पर बेचें” का असर बाजार विशेषज्ञ इसे “अफवाहों पर खरीदें और समाचार पर बेचें” का क्लासिक मामला मान रहे हैं। अगर टैरिफ वृद्धि में और देरी होती है, तो इसका सकारात्मक असर उभरते बाजारों पर पड़ सकता है, खासकर भारत जैसे देशों पर।
सप्ताह के सेक्टोरल प्रदर्शन सबसे अधिक बढ़त: निफ्टी आईटी निफ्टी फार्मा सबसे ज्यादा गिरावट: निफ्टी रियल्टी पीएसयू बैंक
विदेशी और घरेलू निवेशकों का रुख विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने 20 जनवरी को 4,336 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने उसी दिन 4,322 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
निवेशकों के लिए भविष्य की संभावनाएं बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि डॉलर कमजोर होने और बॉन्ड यील्ड में गिरावट से भारतीय बाजार को फायदा हो सकता है। अगर ट्रंप प्रशासन टैरिफ नीति को लेकर स्पष्टता देता है, तो निवेशकों का भरोसा बढ़ सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में लौटने के बाद भारतीय शेयर बाजार में अस्थिरता देखने को मिल रही है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि लंबी अवधि में यह भारतीय बाजारों के लिए सकारात्मक साबित हो सकता है। निवेशकों को सतर्क रहकर बाजार की चाल पर नजर रखने की सलाह दी जा रही है।
Discussion about this post