भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने रविवार को सशस्त्र बलों के लिए भविष्य के युद्धों की तैयारी के उद्देश्य से एक व्यापक योजना प्रस्तुत की। इस योजना में ‘विज़न 2047’ के तहत दीर्घकालिक लक्ष्यों का निर्धारण और नए युद्ध सिद्धांतों का विकास शामिल है। रक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित एक आधिकारिक पॉडकास्ट में जनरल चौहान ने इस दृष्टिकोण पर विस्तार से चर्चा की।
‘सुधार वर्ष 2025’ पहल का प्रभाव सीडीएस ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा घोषित ‘सुधार वर्ष 2025’ पहल के तहत सशस्त्र बलों की रणनीतियों को साझा किया। उन्होंने बताया कि भविष्य के युद्धों के बदलते स्वरूप को ध्यान में रखते हुए सशस्त्र बल संयुक्त सिद्धांत विकसित कर रहे हैं। इनमें बहु-डोमेन ऑपरेशन, नेटवर्क-केंद्रित युद्ध, संयुक्त संचार, हवाई और हेलीकॉप्टर ऑपरेशन, अंतरिक्ष ऑपरेशन और पारंपरिक मिसाइल बल जैसे पहलुओं को शामिल किया गया है।
‘विज़न 2047’: सशस्त्र बलों का भविष्य जनरल चौहान ने घोषणा की कि ‘विज़न 2047’ पर काम चल रहा है, जिसे 2025 के मध्य तक जारी करने की योजना है। यह योजना भारत के सशस्त्र बलों की भूमिका और भविष्य के युद्धों के लिए उनकी तैयारियों का खाका प्रस्तुत करेगी।
एकीकृत थिएटर कमांड: युद्धक क्षमताओं का समेकन सीडीएस ने एकीकृत थिएटर कमांड के महत्व पर जोर दिया। यह प्रणाली सभी भौगोलिक क्षेत्रों में युद्धक संपत्तियों को एक कमांडर के तहत समेकित करेगी। सरकार के समक्ष इस कमांड का खाका प्रस्तुत करना प्राथमिकता है।
प्रौद्योगिकी अनुकूलन: भविष्य के युद्धों के लिए तैयार युद्ध की बदलती प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, जनरल चौहान ने बताया कि सशस्त्र बल तकनीक के तीन मुख्य कार्यक्षेत्रों पर काम कर रहे हैं: 1. मौजूदा प्रणालियों का उन्नयन: हल्के टैंकों जैसे उपकरणों को बेहतर बनाना। 2. उभरती तकनीकों का समावेश: कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी तकनीकों को अगले 5-10 वर्षों में युद्ध में प्रभावी रूप से शामिल करना। 3. विध्वंसकारी तकनीकों पर ध्यान केंद्रित करना: दोहरे उपयोग वाली तकनीकें जो युद्ध की मौलिक परिभाषा को बदल देंगी।
अल्पकालिक और दीर्घकालिक योजनाएँ सीडीएस ने बताया कि सशस्त्र बलों ने आठ प्रमुख कार्यक्षेत्रों और 196 विशिष्ट कार्यों की पहचान की है। अल्पकालिक लक्ष्य: संचार, वायु रक्षा, खुफिया, निगरानी और टोही में सुधार। दीर्घकालिक योजनाएँ: मौजूदा ‘दीर्घकालिक एकीकृत परिप्रेक्ष्य योजना’ को बदलने के लिए एकीकृत क्षमता विकास योजना विकसित की जा रही है।
उन्नत प्रौद्योगिकियों पर ध्यान सीडीएस ने कहा कि सशस्त्र बल क्वांटम प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, घातक स्वायत्त प्रणालियों और अंतरिक्ष युद्ध जैसी तकनीकों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
संघर्ष की बदलती गतिशीलता जनरल चौहान ने उभरती हुई और विध्वंसकारी तकनीकों पर जोर देते हुए कहा कि ये भविष्य के संघर्षों की दिशा को नई गति और आकार देंगी। सशस्त्र बलों ने तीन स्तंभों के माध्यम से तकनीक को अपनाने की योजना बनाई है।
‘विज़न 2047’ सशस्त्र बलों को भविष्य के युद्धों के लिए तैयार करने का एक अभूतपूर्व प्रयास है। यह न केवल युद्धक्षेत्र में भारत की रणनीतिक स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को भी सशक्त करेगा। सीडीएस जनरल अनिल चौहान द्वारा प्रस्तुत यह दृष्टिकोण भारत की रक्षा क्षमताओं को नए आयाम देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
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