पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख इमरान खान को भ्रष्टाचार के एक गंभीर मामले में 14 साल की सजा सुनाई गई है। यह मामला अल-कादिर ट्रस्ट से जुड़े 190 मिलियन पाउंड (लगभग 2,000 करोड़ रुपये) के घोटाले का है। इस मामले में उनकी पत्नी बुशरा बीबी को भी दोषी ठहराते हुए 7 साल की सजा और 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
फैसले की पूरी कहानी
यह ऐतिहासिक फैसला एंटी करप्शन कोर्ट के जज नासिर जावेद राणा ने सुनाया। सुनवाई के लिए आदिला जेल के भीतर ही एक अस्थायी अदालत बनाई गई थी। फैसले के दौरान जेल के अंदर और बाहर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे।
क्या है मामला?
नेशनल अकाउंटिबिलिटी ब्यूरो (NAB) ने दिसंबर 2023 में इमरान खान, उनकी पत्नी बुशरा बीबी और 5 अन्य लोगों के खिलाफ अल-कादिर ट्रस्ट के मामले में केस दर्ज किया था। इन पर राष्ट्रीय खजाने को 190 मिलियन पाउंड का नुकसान पहुंचाने का आरोप था।
इस ट्रस्ट के तहत ब्रिटेन से लौटाई गई धनराशि को गलत तरीके से हेरफेर कर सरकारी खजाने से ट्रस्ट के पक्ष में ट्रांसफर किया गया।
अन्य आरोपी देश से बाहर होने के कारण मुकदमा केवल इमरान खान और उनकी पत्नी पर ही चला।
सजा और जुर्माना
इमरान खान को 14 साल की सजा के साथ 10 लाख रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया गया।
बुशरा बीबी को 7 साल की सजा के साथ 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।
फैसला क्यों हुआ देर से?
यह फैसला पहले 23 दिसंबर 2023 को आना था, लेकिन कोर्ट की शीतकालीन छुट्टियों और जज नासिर जावेद राणा की अनुपस्थिति के कारण इसे 13 जनवरी 2024 तक टाल दिया गया। आखिरकार 14 जनवरी को यह फैसला सुनाया गया।
पार्टी का विरोध
इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ ने इस फैसले को राजनीति से प्रेरित बताया है। उनका कहना है कि इमरान और उनकी पत्नी को साजिश के तहत फंसाया गया है। इमरान खान ने पहले भी अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि ये सब उनकी राजनीतिक छवि खराब करने के लिए किया जा रहा है।
पिछले मामले और इमरान का जेल प्रवास
इमरान खान को अगस्त 2023 में विभिन्न मामलों में गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। इनमें से कुछ मामलों में उन्हें राहत मिली, लेकिन तोशखाना और अल-कादिर ट्रस्ट जैसे गंभीर मामलों में सुनवाई जारी रही।
इमरान खान और बुशरा बीबी को सजा सुनाया जाना पाकिस्तान की राजनीति और न्यायपालिका के इतिहास में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। हालांकि यह देखना बाकी है कि इस फैसले का पाकिस्तान की राजनीति और इमरान खान की पार्टी पर क्या प्रभाव पड़ता है। वहीं, यह मामला देश की भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम के तहत एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है।
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