रूस-यूक्रेन युद्ध को लगभग तीन साल पूरे होने को हैं, लेकिन दोनों देश अब भी हथियार डालने के लिए तैयार नहीं हैं। इस बीच, यूक्रेन को सहयोग प्रदान कर रहे अमेरिका ने रूस के खिलाफ एक और बड़ा कदम उठाते हुए उसके ऊर्जा क्षेत्र पर अब तक के सबसे सख्त प्रतिबंध लगा दिए हैं। राष्ट्रपति जो बाइडन ने शुक्रवार को इन प्रतिबंधों की घोषणा करते हुए कहा कि उनका उद्देश्य कीव की स्वतंत्रता को बनाए रखना और मॉस्को के खिलाफ उसकी लड़ाई में मजबूती प्रदान करना है।
रूस की ऊर्जा कंपनियों पर निशाना बाइडन ने कहा कि इन प्रतिबंधों का मुख्य लक्ष्य रूस की अर्थव्यवस्था को कमजोर करना और उसकी युद्ध क्षमता को बाधित करना है। प्रतिबंधों का केंद्र रूस की ऊर्जा कंपनियां, विशेष रूप से गैस निर्यात से जुड़ी कंपनियां हैं। इन प्रतिबंधों में दो भारतीय कंपनियां – स्काईहार्ट मैनेजमेंट सर्विसेज और एविशन मैनेजमेंट सर्विसेज – भी शामिल हैं।
रूस की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव राष्ट्रपति बाइडन ने जोर देकर कहा कि ये प्रतिबंध रूस की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डालेंगे और उसकी युद्ध मशीनरी को कमजोर करेंगे। हालांकि, गैस की कीमतों में हल्की वृद्धि हो सकती है, लेकिन रूस पर इसका दीर्घकालिक प्रभाव अधिक गंभीर होगा। उन्होंने कहा, “गैस की कीमतों में प्रति गैलन $0.03 से $0.04 की बढ़ोतरी हो सकती है, लेकिन रूस की युद्ध क्षमता पर इसका प्रभाव कहीं ज्यादा बड़ा होगा।”
यूक्रेन को हरसंभव सहायता बाइडन ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की से अपनी हालिया बातचीत का जिक्र करते हुए कहा, “हमारा उद्देश्य रूस को संघर्ष जारी रखने का कोई मौका नहीं देना है। मैंने यूक्रेन को हर संभव सहायता देने का वादा किया है ताकि वह अपनी स्वतंत्रता बनाए रख सके।” उन्होंने यह भी कहा कि रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों का असर उसकी घरेलू राजनीतिक स्थिरता और अर्थव्यवस्था पर स्पष्ट रूप से दिखाई देगा।
युद्ध के आंकड़े और कोरियाई सैनिकों की मौत रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान अब तक 12,300 से अधिक नागरिकों की जान जा चुकी है, जबकि कई शहर पूरी तरह तबाह हो चुके हैं। बाइडन ने दावा किया कि रूस के लिए युद्ध बहुत महंगा साबित हो रहा है। उन्होंने कहा, “रूस ने युद्ध में कोरियाई सैनिकों को तैनात किया, लेकिन उनकी मृत्यु दर बहुत अधिक है। अब तक 600,000 से अधिक लोग मारे गए या घायल हुए हैं।”
ट्रंप के संदर्भ में बयान राष्ट्रपति बाइडन ने डोनाल्ड ट्रंप की संभावित नीतियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि यदि ट्रंप यूक्रेन की सहायता रोकने का प्रयास करते हैं, तो अमेरिकी जनता और कांग्रेस के सदस्य इसका विरोध करेंगे। उन्होंने कहा, “मैंने अपने राष्ट्रपति पद की शक्तियों का उपयोग करके यूक्रेन को हर संभव सहायता प्रदान की है। मुझे यकीन है कि अमेरिकी नेतृत्व यूक्रेन का समर्थन जारी रखने के लिए एकजुट रहेगा।”
भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध अमेरिका द्वारा प्रतिबंधित की गई दो भारतीय कंपनियां – स्काईहार्ट मैनेजमेंट सर्विसेज और एविशन मैनेजमेंट सर्विसेज – रूस की ऊर्जा कंपनियों के साथ जुड़ी हुई थीं। इन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाकर अमेरिका ने स्पष्ट संकेत दिया है कि रूस के सहयोगियों पर भी शिकंजा कसा जाएगा।
पश्चिमी देशों की एकजुटता पर भरोसा बाइडन ने कहा कि यदि पश्चिमी यूरोप एकजुट रहता है, तो यूक्रेन इस युद्ध में विजय हासिल कर सकता है। उन्होंने रूस को “बर्बरता जारी रखने का कोई मौका नहीं देने” की प्रतिबद्धता दोहराई।
रूस के खिलाफ लगाए गए ये प्रतिबंध न केवल उसकी अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाने के लिए हैं, बल्कि मॉस्को की युद्ध क्षमता को भी कमजोर करेंगे। अमेरिका और पश्चिमी सहयोगी देशों का यह कदम यूक्रेन को मजबूत करने और रूस पर दबाव बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।
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