भारत माता की जय कहना केवल एक नारा नहीं है, बल्कि यह हमारी जिम्मेदारी और कर्तव्य को स्वीकार करने का प्रण है। भारत माता केवल एक भूखंड नहीं है, यह हम नागरिकों से मिलकर बनी है। हम भारत माता के पुत्र-पुत्रियां हैं, और इसका हर संसाधन—सरकारी स्कूल, अस्पताल, सड़कें, स्ट्रीट लाइट, पार्क, बसें और अन्य सुविधाएं—हमारी मां के अंग समान हैं। ऐसे में हमारा कर्तव्य बनता है कि हम इनकी रक्षा करें, इनका सम्मान करें और इनका सही उपयोग करें।
आज हमें स्वयं से यह सवाल पूछने की आवश्यकता है—क्या हम एक जागरूक नागरिक की भूमिका निभा रहे हैं?
सफाई और स्वच्छता: क्या हम अपने घरों के बाहर और सार्वजनिक स्थानों पर स्वच्छता बनाए रखते हैं? क्या हम कचरा सही तरीके से निपटाते हैं, या अपने आसपास गंदगी फैलाते हैं? यह याद रखना चाहिए कि साफ-सफाई केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।
सार्वजनिक संपत्तियों की देखभाल: क्या हम सरकारी बसों, पार्कों, स्कूलों और अन्य संसाधनों का सही उपयोग कर रहे हैं? या हम इन्हें नुकसान पहुंचा रहे हैं? हमें यह समझना चाहिए कि इन्हें बनाने और बनाए रखने के लिए हमारे ही करों का पैसा लगाया जाता है।
पर्यावरण की रक्षा: क्या हम पेड़ों को काटने से बचाते हैं, पानी की बर्बादी रोकते हैं और प्रदूषण को कम करने में अपनी भूमिका निभाते हैं? क्या हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण छोड़ने का प्रयास कर रहे हैं?
भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज: जब हमें सरकारी विभागों या अधिकारियों में भ्रष्टाचार दिखाई देता है, तो क्या हम चुप रहते हैं, या इसके खिलाफ बोलते हैं? सरकार ने हमें आरटीआई, जनसुनवाई, ट्विटर और अन्य माध्यम दिए हैं, क्या हम इनका उपयोग कर अपनी आवाज उठाते हैं? यदि हम अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ कुछ नहीं कहते, तो हम जागरूक नागरिक कैसे हो सकते हैं?
जागरूकता केवल दूसरों से अपेक्षा करने का नाम नहीं है, यह स्वयं पहल करने की बात है। यदि आपके क्षेत्र की सड़कें खराब हैं, तो क्या आपने शिकायत की? यदि पार्क में लाइट खराब है, तो क्या आपने संबंधित अधिकारियों से संपर्क किया? यदि आपके मोहल्ले में गंदगी है, तो क्या आपने स्वच्छता अभियान चलाने का सोचा?
भारत माता का सम्मान तभी होगा जब हम उसके हर अंग का ख्याल रखेंगे। यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम न केवल अपने अधिकारों की बात करें, बल्कि अपने कर्तव्यों का भी ईमानदारी से निर्वहन करें। आइए, मिलकर यह प्रण लें कि हम न केवल “भारत माता की जय” कहेंगे, बल्कि अपने कार्यों से इसे साबित भी करेंगे। जागरूक नागरिक बनें, क्योंकि एक जागरूक नागरिक ही अपने देश को महान बनाता है।
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