देशभर में ईएसआईसी (कर्मचारी राज्य बीमा निगम) योजना के तहत लगभग 5 करोड़ श्रमिक बीमित हैं। यह योजना श्रमिकों और उनके परिवारों को चिकित्सा और अन्य सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से बनाई गई थी। हालांकि, आंकड़ों के अनुसार, केवल 2 करोड़ बीमित श्रमिक ही इस योजना का लाभ उठा पा रहे हैं क्योंकि उनके पास ईएसआईसी कार्ड उपलब्ध हैं। शेष 3 करोड़ श्रमिक, जो पहले से ही योजना में कवर हैं, कार्ड की अनुपलब्धता के कारण चिकित्सा सुविधाओं से वंचित हैं।
नियोक्ताओं की लापरवाही: इस समस्या का एक बड़ा कारण यह है कि अधिकांश मामलों में नियोक्ता अपने कर्मचारियों का अंशदान तो काट लेता है, लेकिन कर्मचारियों को ईएसआईसी कार्ड उपलब्ध नहीं कराता और न ही उन्हें उनका आई.पी. (इंश्योरेंस नंबर) नंबर बताता है। इसके परिणामस्वरूप, कर्मचारी अपना परमानेंट इंश्योरेंस कार्ड डाउनलोड नहीं कर पाते और चिकित्सा सुविधा से वंचित रह जाते हैं।
श्रमिकों के अधिकारों पर संकट: यह न केवल श्रमिकों के अधिकारों का हनन है, बल्कि एक गंभीर सामाजिक अन्याय भी है। ईएसआईसी एक ऐसा विभाग है, जिसके पास 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का संचित कोष है और इस पर 10,000 करोड़ रुपये सालाना ब्याज आता है। इसके बावजूद, सरकार इस योजना के तहत सालाना केवल 9,000 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाती है।
आसान समाधान की आवश्यकता: इस समस्या को हल करने के लिए केंद्र सरकार को एक तकनीकी समाधान अपनाना चाहिए। यदि श्रमिकों को ईएसआईसी की वेबसाइट या मोबाइल ऐप के माध्यम से परमानेंट इंश्योरेंस कार्ड डाउनलोड करने की सुविधा दी जाए, तो यह योजना अधिक प्रभावी हो सकती है। श्रमिकों को केवल इतना करना पड़े कि वे अपने स्मार्टफोन पर ईएसआईसी की वेबसाइट पर जाएं और “परमानेंट इंश्योरेंस कार्ड डाउनलोड” विकल्प पर क्लिक करें। वहां उन्हें केवल अपना आधार नंबर और मोबाइल नंबर दर्ज करना होगा, जिससे उनका कार्ड तुरंत डाउनलोड हो सके।
इस प्रक्रिया से न केवल श्रमिकों को आई.पी. नंबर का पता न होने और कार्ड न मिलने की समस्या से छुटकारा मिलेगा, बल्कि वे और उनके परिवार चिकित्सा सुविधा का तुरंत लाभ उठा सकेंगे।
सरकार की लोकप्रियता और श्रमिकों का लाभ: इस प्रकार की डिजिटल योजना से न केवल सरकार की लोकप्रियता बढ़ेगी, बल्कि लगभग 12-15 करोड़ लोगों (3 करोड़ श्रमिक और उनके परिवार) को इसका सीधा लाभ मिलेगा।
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