प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नाइजीरिया की अपनी यात्रा के दौरान, जो 17 वर्षों में पहली बार की गई है, द्विपक्षीय संबंधों को नए मुकाम पर पहुंचाने का संकल्प लिया। नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला अहमद टीनुबू ने अबुजा में मोदी जी का स्वागत किया और उन्हें देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, ‘ग्रैंड कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द नाइजर’ (GCON) से सम्मानित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस सम्मान को 140 करोड़ भारतीयों का सम्मान बताते हुए कहा कि यह दोनों देशों के बीच रिश्तों को और प्रगाढ़ बनाने के लिए प्रेरित करेगा।
यह सम्मान पहले ब्रिटेन की दिवंगत महारानी एलिजाबेथ को 1969 में दिया गया था, और अब मोदी, दूसरे विदेशी गणमान्य व्यक्ति हैं जिन्हें यह सम्मान प्राप्त हुआ है। मोदी ने इस अवसर पर कहा, “भारत और नाइजीरिया कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे, और हमारे रिश्ते आने वाले समय में और मजबूत होंगे।”
प्रधानमंत्री मोदी नाइजीरिया के राष्ट्रपति टीनुबू के निमंत्रण पर इस यात्रा पर आए हैं, जो उनके तीन देशों की यात्रा के पहले चरण का हिस्सा है। इसके बाद मोदी ब्राजील और गुयाना भी जाएंगे। यात्रा के दौरान मोदी ने नाइजीरिया में भारतीय समुदाय के योगदान की सराहना की और लगभग 60,000 भारतीय प्रवासियों को दोनों देशों के रिश्तों का एक अहम स्तंभ बताया।
भारत-नाइजीरिया साझेदारी को नई दिशा प्रधानमंत्री मोदी ने नाइजीरिया में अपनी बातचीत के दौरान कहा कि भारत नाइजीरिया के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को उच्च प्राथमिकता देता है। उन्होंने रक्षा, ऊर्जा, व्यापार और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग को और बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई। मोदी ने आतंकवाद, समुद्री डकैती, मादक पदार्थों की तस्करी और अन्य वैश्विक चुनौतियों से निपटने में दोनों देशों के सहयोग को महत्वपूर्ण बताया।
मोदी ने यह भी घोषणा की कि भारत नाइजीरिया में हाल ही में आई बाढ़ के प्रभावितों के लिए 20 टन राहत सामग्री भेज रहा है, और अफ्रीकी संघ के स्थायी सदस्य बनने को एक ऐतिहासिक कदम करार दिया।
कूटनीतिक रिश्तों का अहम मोड़ प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा को न केवल भारत-नाइजीरिया के रिश्तों को और प्रगाढ़ करने का एक अवसर माना जा रहा है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच सामरिक सहयोग और वैश्विक साझेदारी को नई दिशा देने में सहायक साबित होगी। दोनों पक्षों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर की संभावना है, जो दोनों देशों के सहयोग को नए आयाम देंगे।
भारत और नाइजीरिया का रिश्ता छह दशकों से भी पुराना है। 1958 में भारत ने नाइजीरिया में अपना पहला राजनयिक दूतावास स्थापित किया था, और 2007 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में भारत-नाइजीरिया संबंधों को “रणनीतिक साझेदारी” का दर्जा दिया गया था।
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत और नाइजीरिया के रिश्तों के एक नए अध्याय की शुरुआत साबित हो रही है, जो भविष्य में और भी मजबूत होंगे।
Discussion about this post