मणिपुर:- जारी हिंसा ने राज्य को गंभीर संकट में डाल दिया है। 16 नवंबर, 2024 को मुख्यमंत्री बीरेन सिंह और भाजपा के 10 विधायकों के घरों पर हमलों और तोड़फोड़ के बाद स्थिति और भी खराब हो गई। प्रदर्शनकारियों ने विधायकों के घरों को आग लगा दी और राज्यभर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। इस हिंसा को देखते हुए मणिपुर के मुख्य सचिव ने प्रभावित जिलों में इंटरनेट और मोबाइल डेटा सेवाओं को दो दिन के लिए निलंबित कर दिया है।
कुकी उग्रवादियों द्वारा परिवार की हत्या मणिपुर के जिरीबाम जिले में राहत शिविर में रह रहे मैतेई समुदाय के लैशाराम हीरोजीत के परिवार की नृशंस हत्या कर दी गई। संदिग्ध कुकी उग्रवादियों ने सोमवार को हीरोजीत के परिवार को असम की सीमा के पास बंधक बना लिया और उनके दो बच्चों, पत्नी, सास, पत्नी की बहन और बेटे को बेरहमी से मार डाला। पुलिस ने बताया कि रविवार, 17 नवंबर को हीरोजीत की सास और ढाई साल के बच्चे के शव जिरीबाम के पास नदी में तैरते हुए पाए गए। बच्चे का सिर कटा हुआ था, और उसकी दादी का शव अर्धनग्न अवस्था में था।
केंद्र और राज्य सरकार की आपात स्थिति मणिपुर में बढ़ती हिंसा ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को अपनी नागपुर की चार चुनावी रैलियां रद्द करने और दिल्ली लौटने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। राज्य सरकार ने केंद्र से सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (AFSPA) को वापस लेने की भी मांग की है। केंद्र ने पहले ही 14 नवंबर को AFSPA लागू कर दिया था, जिससे सुरक्षा बलों को अधिक अधिकार मिल गए हैं।
नेशनल पीपुल्स पार्टी का समर्थन वापस लेना राज्य में इस हिंसा के बीच मणिपुर में भाजपा की सहयोगी पार्टी, नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने अपना समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया है। मणिपुर विधानसभा में इस पार्टी के सात विधायक हैं, जिनका समर्थन वापसी भाजपा सरकार के लिए एक बड़ा राजनीतिक झटका साबित हो सकता है।
कुकी समुदाय का विरोध और अन्य प्रतिक्रियाएं कुकी समुदाय ने हिंसा में मारे गए लोगों के लिए न्याय की मांग की है। इंडीजीनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने बताया कि केंद्रीय पुलिस बल के साथ गोलीबारी में मारे गए 10 कुकी युवकों का अंतिम संस्कार तब तक नहीं किया जाएगा जब तक उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट उनके परिजनों को नहीं सौंप दी जाती। चुराचांदपुर में सैकड़ों कुकी नागरिकों ने शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन किया और हिंसा के विरोध में आवाज उठाई।
मिजोरम सरकार ने भी मणिपुर में बढ़ती हिंसा को लेकर एहतियात बरतने की सलाह दी है, ताकि पड़ोसी राज्य में सांप्रदायिक तनाव न बढ़े।
सुरक्षा बलों की कार्रवाई असम राइफल्स, बीएसएफ और राज्य बलों ने प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए कई राउंड आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया। इसके बावजूद हिंसा में कमी नहीं आई, और राज्य की स्थिति अभी भी बेहद नाजुक बनी हुई है।
मणिपुर में बढ़ते हिंसा और संघर्ष ने न केवल राज्य की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती दी है, बल्कि समाज के विभिन्न समुदायों के बीच गहरे मतभेदों और आरोप-प्रत्यारोप का कारण बन गई है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राज्य और केंद्र सरकार इस संवेदनशील स्थिति को सुधारने के लिए क्या कदम उठाती है।
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