गाजियाबाद:- हवा में घुला प्रदूषण शहर को गैस चैंबर में तब्दील कर रहा है, जहां लोगों के लिए सांस लेना दिन-ब-दिन मुश्किल होता जा रहा है। सुबह होते ही आंखों में जलन और सीने में घबराहट महसूस होना अब आम हो गया है। हालात यह हैं कि लोग रात में भी ठीक से सो नहीं पा रहे हैं, और प्रदूषण की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।
बृहस्पतिवार को गाजियाबाद ने देश के सबसे प्रदूषित शहरों में चौथे स्थान पर अपनी जगह बनाई, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 356 दर्ज किया गया। गाजियाबाद में स्मॉग ने चारों ओर अपना कब्जा जमा लिया था, और यह स्थिति राहत मिलने की कोई उम्मीद नहीं छोड़ रही है। इस दिन दिल्ली सबसे प्रदूषित शहर रहा, उसके बाद चंडीगढ़ और सहरसा ने गाजियाबाद से ऊपर जगह बनाई।
स्मॉग, धूल, धुएं, कार्बन और गंधक के सूक्ष्म कणों से हवा की गुणवत्ता इतनी खराब हो चुकी है कि लोगों को सांस लेने में गंभीर समस्या हो रही है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी विकास मिश्रा के अनुसार, तापमान में गिरावट और हवा की गति कम होने से प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है।
स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का असर अब अस्पतालों में भी दिखने लगा है। एमएमजी और जिला संयुक्त अस्पताल के ओपीडी में 100 से ज्यादा मरीज सांस संबंधी समस्याओं के साथ पहुंचे, जबकि निजी अस्पतालों में यह संख्या और अधिक रही। रात में नींद न आना और सांस लेने में तकलीफ के कारण मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
गाजियाबाद के विभिन्न हिस्सों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) इस प्रकार था: वसुंधरा: 378 इंदिरापुरम: 361 संजय नगर: 286 लोनी: 398
प्रदूषण की स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है, और इसके चलते सांस रोगियों को खासा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अब सवाल यह उठता है कि अगर इस संकट से जल्द राहत नहीं मिली तो शहरवासियों के स्वास्थ्य पर और क्या असर पड़ेगा?
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