भारत और तालिबान:- बीच पहली बार संवाद हुआ है, जब भारतीय विदेश मंत्रालय के एक उच्च अधिकारी ने अफगानिस्तान के अंतरिम रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब से मुलाकात की। यह मुलाकात पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच जारी सैन्य तनाव के बीच हुई है, और इसमें विशेष रूप से अफगानिस्तान के लिए भारत द्वारा की जा रही मानवीय मदद और चाबहार पोर्ट के इस्तेमाल को लेकर बातचीत की गई।
भारत ने इस मुलाकात को अफगानिस्तान के लिए समर्थन देने और चाबहार पोर्ट के जरिए अफगान कारोबारियों के आयात-निर्यात से जुड़े मुद्दों पर केंद्रित बताया। भारत ने अफगानिस्तान को पहले भी गेहूं और दवाइयां जैसे मानवीय सहायता भेजी है, और अब इसे आगे बढ़ाने के संकेत दिए हैं।
भारत ने स्पष्ट किया कि यह मुलाकात अफगानिस्तान को मानवीय मदद देने के संदर्भ में हुई है, और तालिबान शासन को किसी भी प्रकार की औपचारिक मान्यता नहीं दी गई है। हालांकि, पाकिस्तान के साथ तालिबान के संबंधों में तनाव के बीच भारत और तालिबान के बीच संवाद का यह कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने काबुल में विभिन्न नेताओं, पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजाई और अफगानिस्तान में कार्यरत यूएन एजेंसियों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की। चाबहार पोर्ट को लेकर चर्चा इस वजह से भी अहम है क्योंकि पाकिस्तान अफगानिस्तान और भारत को जमीनी रास्ते से व्यापार की अनुमति नहीं देता है, और ऐसे में चाबहार पोर्ट अफगान व्यापारियों के लिए एक वैकल्पिक मार्ग बन सकता है।
भारत ने हाल ही में ईरान के साथ चाबहार पोर्ट के प्रबंधन के लिए 10 साल का अनुबंध किया है, जिससे यह पोर्ट अफगान व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र बन सकता है। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि भारत और अफगानिस्तान के बीच पुराना और स्थिर संबंध है, और इसे भविष्य में और मजबूत किया जाएगा।
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