गाजियाबाद:- सर्दी के मौसम के आते ही साहिबाबाद की हवा में जहरीले कणों की मात्रा में चिंताजनक वृद्धि हो रही है। रविवार को गाजियाबाद देश के सबसे प्रदूषित शहरों में दूसरे स्थान पर रहा, जबकि यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 324 के स्तर पर पहुंच गया, जो बेहद खराब श्रेणी में आता है।
हाल के दिनों में, हवा में धूल और धुएं के कणों की मात्रा में निरंतर वृद्धि के कारण लोगों को सांस लेने में कठिनाई हो रही है। अस्पतालों में सांस संबंधी रोगियों की संख्या में वृद्धि देखने को मिल रही है। 23 और 24 अक्टूबर को भी गाजियाबाद ने प्रदूषण की सूची में उच्च रैंकिंग प्राप्त की थी, जहां एक्यूआई क्रमशः 305 और 272 दर्ज किया गया।
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी विकास मिश्रा के अनुसार, मौसमी बदलावों के कारण एक्यूआई में उतार-चढ़ाव हो रहा है। उनका कहना है कि तापमान स्थिर होने पर यह स्तर सामान्य हो जाएगा। हालात और भी चिंताजनक तब हो गए जब लोनी स्टेशन का एक्यूआई गंभीर श्रेणी में 412 तक पहुंच गया। अन्य क्षेत्रों जैसे इंदिरापुरम, वसुंधरा और संजय नगर का एक्यूआई भी 400 के करीब था।
प्रदूषण नियंत्रण की चुनौतियां
प्रदूषण के बढ़ते स्तर को नियंत्रित करने के लिए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) लागू किया गया है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में गंभीर कमी नजर आ रही है। निर्माण सामग्री को खुली जगह पर रखने पर रोक लगाने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, और कूड़ा जलाने पर एफआईआर की कमी भी चिंता का विषय है।
शहर में जलापूर्ति और छिड़काव की व्यवस्था केवल औपचारिकता बनकर रह गई है, जिससे धूल की मोटी परतें देखी जा सकती हैं। इसके अलावा, होटल और रेस्तरां में कोयले और लकड़ी के तंदूर जलाने पर रोकथाम का सख्ती से पालन नहीं किया जा रहा है।
एक्यूआई मानक:
0-50: अच्छा 51-100: संतोषजनक 101-200: मध्यम 201-300: खराब 301-400: बेहद खराब 400 या अधिक: गंभीर
गाजियाबाद के नागरिकों के लिए प्रदूषण अब केवल एक स्वास्थ्य संकट नहीं, बल्कि एक जीवनशैली का संकट बनता जा रहा है। ऐसे में आवश्यक है कि प्रशासन प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में सख्त कदम उठाए, ताकि लोगों को स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण मिल सके। यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो आने वाले दिनों में इससे स्वास्थ्य पर और भी गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
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