भारत ने टीबी के खिलाफ अपनी लड़ाई को मजबूत करने के लिए एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ने स्वदेशी पोर्टेबल एक्स-रे मशीन विकसित की है, जिससे टीबी की जांच अब आसान और सस्ती हो गई है। आइसीएमआर के महानिदेशक डा. राजीव बहल के अनुसार, यह मशीन हाथ में पकड़ने के लिए डिज़ाइन की गई है, जिससे टीबी का जल्द पता लगाने और समय पर इलाज सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। इसकी कीमत विदेशी मशीनों की तुलना में आधी है, जिससे यह घर पर भी उपयोग की जा सकेगी।
इसके अलावा, आइसीएमआर ने एमपाक्स की जांच के लिए भी किट विकसित की है, और डेंगू के लिए वैक्सीन का तीसरा चरण का क्लीनिकल परीक्षण चल रहा है। डा. बहल ने बताया कि डेंगू वैक्सीन के परिणाम एक साल में आने की उम्मीद है।
इस बीच, मोहाली के नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आइएनएसटी) के वैज्ञानिकों ने एक नई विधि विकसित की है, जिसमें नाक के माध्यम से टीबी की दवाओं को मस्तिष्क तक पहुंचाया जा सकता है। यह पद्धति मस्तिष्क में टीबी बैक्टीरिया की संख्या को एक हजार गुना तक कम कर सकती है। यह उपचार पद्धति न केवल ब्रेन टीबी बल्कि अन्य मस्तिष्क संक्रमणों के इलाज में भी सहायक हो सकती है।
इन नवाचारों से भारत ने टीबी की जांच और इलाज में नई राह दिखाई है, जो न केवल टीबी के मरीजों के लिए, बल्कि समग्र स्वास्थ्य प्रणाली के लिए भी एक बड़ी उम्मीद की किरण है।
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