डॉ. कल्पना शंकर की कहानी एक अद्भुत परिवर्तन की गाथा है, जो एक प्रतिभाशाली परमाणु भौतिक विज्ञानी से एक सामाजिक सुधारक बन गईं। हैंड इन हैंड इंडिया की सह-स्थापना करके, उन्होंने 2.2 मिलियन महिलाओं को सशक्त बनाया है, बाल श्रम को समाप्त करने का लक्ष्य रखा है, और 1.5 मिलियन नौकरियाँ पैदा की हैं। यह गैर सरकारी संगठन भारत के ग्रामीण जीवन को सशक्त और समृद्ध बनाने के लिए प्रयासरत है।
संघर्ष और उम्मीद की कहानी
जब डॉ. शंकर ने एक शादी का निमंत्रण पढ़ा, जिसमें होने वाली दुल्हन ने उनसे आशीर्वाद मांगा, उनकी आँखों में आंसू आ गए। यह आमंत्रण केवल एक समारोह का नहीं था, बल्कि यह उस संघर्ष की कहानी थी जो एक एकल माँ और उसकी बेटी ने एक साथ मिलकर लड़ी। शीला, जो हैंड इन हैंड इंडिया की पहली सफल उद्यमिता की प्रतीक बनीं, ने अपने बच्चों को शिक्षित करने के लिए संघर्ष किया और उनके सपनों को साकार किया।
डॉ. शंकर ने 2002 में तमिलनाडु के कांचीपुरम में एक चैरिटी मॉडल के माध्यम से काम करना शुरू किया। वहाँ उन्होंने पाया कि कैसे बच्चे श्रम का एक सस्ता स्रोत बन जाते हैं, और यह उनके भविष्य को प्रभावित करता है।
परिवर्तन का सूत्र
2004 में, स्वीडिश व्यवसायी डॉ. पर्सी बार्नेविक ने डॉ. शंकर से संपर्क किया और बाल श्रम उन्मूलन के लिए एक पहल का प्रस्ताव दिया। यह पहल बाद में हैंड इन हैंड इंडिया के रूप में विकसित हुई। उनके नेतृत्व में, कई आवासीय विद्यालयों की स्थापना की गई, जहां बच्चों को शिक्षा और मानसिक समर्थन प्रदान किया गया।
डॉ. शंकर का मानना है कि केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि समुदाय के सभी सदस्यों को साथ लाना भी आवश्यक है। इस दिशा में, हैंड इन हैंड इंडिया ने सामुदायिक स्वास्थ्य, कौशल विकास और रोजगार सृजन पर ध्यान केंद्रित किया।
महिलाओं की सशक्तिकरण की दिशा में कदम
डॉ. शंकर ने विशेष रूप से महिलाओं के सशक्तिकरण पर जोर दिया। उनके कार्यक्रमों के माध्यम से, उन्होंने महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता, उद्यमिता कौशल और अपने व्यवसायों को विकसित करने के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान किए। उनका लक्ष्य था कि महिलाएँ केवल अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर न बनाएं, बल्कि समाज में अपनी पहचान भी स्थापित करें।
हैंड इन हैंड इंडिया ने 5,01,766 स्वयं सहायता समूहों का गठन किया है और 50,16,728 परिवार-आधारित उद्यमों का निर्माण किया है। इसके माध्यम से, उन्होंने महिलाओं को छोटे व्यवसाय शुरू करने और उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद की है।
अंतरराष्ट्रीय विस्तार और वैश्विक प्रभाव
डॉ. शंकर का काम केवल भारत तक सीमित नहीं है। हैंड इन हैंड इंडिया का विस्तार अफगानिस्तान, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील तक हो गया है। यह संगठन अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाल श्रम, कौशल विकास, स्वास्थ्य देखभाल, और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन जैसे मुद्दों पर काम कर रहा है।
परिवर्तन की प्रेरणा
डॉ. कल्पना शंकर का जीवन इस बात का प्रमाण है कि परिवर्तन संभव है जब हम अपने ज्ञान और संसाधनों का उपयोग समाज के सबसे कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए करें। उनकी कहानी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है और यह दिखाती है कि एक व्यक्ति का प्रयास भी सामूहिक बदलाव ला सकता है।
हैंड इन हैंड इंडिया की सफलताएँ न केवल एक संगठन के काम को दर्शाती हैं, बल्कि यह एक नए भविष्य की ओर बढ़ने की दिशा में कदम उठाने की प्रेरणा भी देती हैं। डॉ. शंकर की यात्रा हमें याद दिलाती है कि वास्तविक विकास में सभी का समावेश होना आवश्यक है।
Discussion about this post