सिविल सर्विस की तैयारी छोड़कर खेती की ओर कदम बढ़ाने वाले गौरव पचौरी की कहानी आज प्रेरणा का स्त्रोत बन चुकी है। चार साल की असफलता के बाद, गौरव ने 5 दिन की मोती खेती ट्रेनिंग से जिंदगी की नई दिशा पाई।
भरतपुर, राजस्थान के किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले गौरव ने दिल्ली में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी की, लेकिन निरंतर असफलता के बाद उन्होंने पारंपरिक खेती के बजाय मोती खेती को चुना। टीवी और यूट्यूब से मोती खेती की जानकारी प्राप्त कर उन्होंने भुवनेश्वर के CIFA से ट्रेनिंग ली।
गौरव की 5 दिनों की ट्रेनिंग ने केवल एक सर्टिफिकेट ही नहीं, बल्कि एक नई राह भी खोली। परिवार को मनाकर और गांव के किसानों को प्रेरित करके, उन्होंने 21 लाख रुपये का निवेश किया। कड़ी मेहनत के बाद, महज 21 महीनों में 80 लाख रुपये का मुनाफा कमाकर गौरव ने साबित किया कि कठिन परिस्थितियों में भी सफलता संभव है। आज, वह न केवल एक सफल मोती किसान हैं, बल्कि करीब 1500 लोगों को भी इस क्षेत्र में ट्रेनिंग दे चुके हैं। गौरव की यात्रा यह दिखाती है कि सही मार्गदर्शन और समर्पण से कोई भी सपना सच हो सकता है।
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