गाजियाबाद। नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी मिथलेश कुमार सिंह के खिलाफ विभागीय जांच शुरू हो गई है। यह जांच सूबे के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के निर्देश पर बैठाई गई है। मेरठ मंडल के अपर निदेशक स्वास्थ्य कोे जांच अधिकारी बनाया गया है। स्वास्थ्य अधिकारी पर आरोप है कि उन्होंने सीसीटीवी कैमरे और बायोमेट्रिक मशीन भुगतान की फाइलें सालों से दबा रखी हैं।
तीन साल से इस केस में विजिलेंस जांच भी चल रही है। मुकदमा भी हो चुका है। इसके बावजूद पूरा नगर निगम इस स्वास्थ्य अधिकारी को बचाने की कोशिश में लगा है। पूरा मामला स्वच्छ भारत मिशन-2018 से जुड़ा हुआ है। इसके तहत गाजियाबाद नगर निगम क्षेत्र में 115 सीसीटीवी कैमरे, कर्मचारियों की हाजिरी के लिए 50 बायोमेट्रिक मशीनें और 4 हजार कर्मचारियों के आईकार्ड बनाने का काम नई दिल्ली की फर्म मैसर्स जितिन आनंद कंप्यूटर को दिया गया था। फर्म का आरोप है कि नगर निगम ने काम करा लिया, लेकिन भुगतान नहीं किया। भुगतान की एवज में फर्म से मोटा कमीशन मांगा जा रहा है। इस वजह से भुगतान फाइल पेंडिंग है। फर्म ने इस मामले की शिकायत उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) में की गई। 26 अगस्त 2020 को शासन ने खुली जांच के आदेश विजिलेंस मेरठ सेक्टर को दिए।
लिखा गया भ्रष्टाचार का केस
15 मार्च 2021 को जांच रिपोर्ट विजिलेंस मेरठ ने शासन को भेज दी। इसमें पाया गया कि वाकई फर्म से रुपयों की डिमांड की गई थी। जिसके बाद अगस्त-2021 में मेरठ के विजिलेंस थाने में गाजियाबाद नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी मिथलेश कुमार सिंह, स्टोर इंचार्ज मोहन कुमार और रिटायर हो चुके पूर्व स्वास्थ्य अधिकारी वीरेंद्र कुमार शर्मा पर भ्रष्टाचार की एफआईआर दर्ज हुई थी।
अब प्रभावी कार्रवाई की अटकलें
मिथिलेश कुमार सिंह पर एफआईआर दर्ज होने के बावजूद विभागीय कार्रवाई आज तक नहीं हो पाई है। गाजियाबाद नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी आज भी मिथिलेश कुमार सिंह बने हुए हैं। विजिलेंस की एफआईआर होने के बावजूद अब एक और जांच डिप्टी सीएम के स्तर से बैठाई गई है। कुल मिलाकर मामला डिप्टी सीएम तक पहुंच चुका है। माना जा रहा है कि इस बार कार्रवाई तय है।
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