गाजियाबाद। जड़ी बूटियों का बिजनेस कराने के नाम पर एक शख्स से 20 लाख की ठगी के तीन आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पूछताछ में पता चला कि अकेले गाजियाबाद के लोगों से ही ये शातिर 29 लाख रुपये की ठगी कर चुके हैं। जबकि आरोपियों ने सौ लोगों से पांच करोड़ रुपये ठगने का गुनाह भी कबूल लिया है।
इंदिरापुर थाना पुलिस और गाजियाबाद साइबर सेल के संयुक्त अभियान में यह गिरफ्तारी हुई है। टीम ने आशीष जायसवाल निवासी सूरजकुंड, गोरखपुर और उमेश शुक्ला व सत्यम निवासीगण गोरखपुर को गिरफ्तार किया। शातिरों ने इंदिरापुरम के नीतिखंड निवासी राजेंद्र यादव से जड़ी बूटियों की सप्लाई करने के नाम पर 20 लाख रुपये ठगे थे। मामले की जांच के दौरान पुलिस इन शातिरों तक पहुंची है। शातिरों ने गोरखपुर व अयोध्या में 32 खाते खुलवाए थे, जिन्हें पुलिस ने फ्रीज करा दिया है। अपर पुलिस उपायुक्त अपराध सच्चिदानंद ने बताया कि इंदिरापुरम के नीतिखंड में राजेंद्र यादव को जड़ी बूटियों की आपूर्ति और निर्यात कर अच्छी कमाई का झांसा देकर शातिरों ने उनसे 20 लाख रुपये की ठगी की थी। 16 सितंबर को मामले में पुलिस को शिकायत मिली थी। पुलिस तभी से बैंक अकाउंट, सर्विलांस व मुखबिर की सूचना के आधार पर मामले की छानबीन में जुटी थी। छानबीन में आशीष जायसवाल की भूमिका सामने आई। उससे पूछताछ में पता चला कि उसने गोरखपुर के ही गांव रसई थाना खजनी निवासी अयोध्या के नाम से फर्जी फर्म खोली थी। आशीष ने उसको खाते में आई ठगी की रकम का 15 फीसदी हिस्सा देने का लालच देकर खाता खोलने के लिए तैयार किया था। गाजियाबाद में वह दो लोगों से कुल 29 लाख रुपये की ठगी कर चुके हैं।
ये हुई बरामदगी
आरोपियों के पास से पुलिस ने सात मोबाइल, दो पासबुक, दो चेकबुक, पांच आधार कार्ड, दो ड्राइविंग लाइसेंस, 47 डेबिट व क्रेडिट कार्ड, एक मुहर, एक लाख नकद, एक होंडा सिविक कार बरामद की है। उमेश व सत्यम गौड़ निवासी पिराडी थाना खजनी, गोरखपुर अपने परिचितों के खाते में धनराशि पहुंचाने में आशीष का सहयोग करते थे। आशीष ने पुलिस को बताया कि शुभम और मुल्ला अकरम जो दिल्ली में रहते हैं, वह भी ठगी की वारदात में उसका सहयोग करते थे। उनकी तलाश में पुलिस दबिश दे रही है।
लखनऊ में भी दर्ज हैं केस, जांच जारी
अपर पुलिस उपायुक्त सच्चिदानंद ने बताया कि अयोध्या के नाम खोले गए खाते के अलावा अन्य कई लोगों के खाते में भी ठगी से प्राप्त हुई रकम ट्रांसफर कराई गई थी। इसमें जिस व्यक्ति के खाते में रकम ट्रांसफर कराई जाती थी, उसको 15 फीसदी हिस्सा मिलता था। उमेश व सत्यम को कुल रकम का पांच फीसद इस वजह से दिया जाता था कि वह लोगों को अपने खाते में रकम ट्रांसफर कराने के लिए तैयार करते थे। अपर पुलिस उपायुक्त अपराध सच्चिदानंद ने बताया कि मुख्य आरोपी आशीष जायसवाल आठवीं पास है। वह पूरे गिरोह को संचालित कर रहा था। शातिरों ने उत्तर प्रदेश निर्माण विभाग के नाम से भी मेल और इंस्टाग्राम पर आइडी बनाई थी। लखनऊ और जयपुर में भी उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज है। इस मामले में फरार अन्य आरोपियों की भूमिका की जांच की जा रही है।
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