नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा को अपनी शादी के बाद शुक्रवार को दिल्ली की अदालत से एक बड़ा झटका लगा है। पटियाला हाउस कोर्ट ने राघव चड्ढा को टाइप-7 बंगला खाली करने का आदेश दिया है। अदालत ने राज्यसभा सचिवालय के नोटिस को सही मानते हुए यह आदेश सुनाया है।
कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि बंगला का अलॉटमेंट रद्द होने के बाद राघव चड्ढा का उस बंगले में रहने का कोई औचित्य नहीं बनता है। राघव चड्डा ये दावा नहीं कर सकते कि राज्यसभा के सांसद के तौर पर कार्यकाल पूर्ण होने तक उनका इस बंगले पर रहने का अधिकार बनता ही है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता बतौर राज्यसभा सांसद अपने पूरे कार्यकाल में बंगले में रहने का अधिकार नहीं जता सकते। अगर उसका आवंटन खारिज हो जाता है, तो उन्हें उसे खाली करना होगा। राज्यसभा सचिवालय के वकील ने दलील देते हुए कहा था कि राज्यसभा सांसद होने के नाते राघव चड्ढा को टाइप- VI बंगला आवंटित करने का अधिकार है, न कि टाइप- VII बंगला। पटियाला हाउस कोर्ट में राघव चड्ढा को बंगला खाली करने के मामले में लगाई अंतरिम रोक को हटाया। कोर्ट ने राज्यसभा सचिवालय के बंगला खाली करने के नोटिस को सही ठहराया है। पटियाला हाउस कोर्ट ने कहा राघव चड्डा के पास टाइप-VII बंगले पर कब्जा जारी रखने का कोई निहित अधिकार नहीं है, क्योंकि यह केवल एक सांसद के रूप में उन्हें दिया गया विशेषाधिकार था।
वहीं कोर्ट के आदेश के बाद राघव चड्ढा ने एक बयान जारी किया। उन्होंने कहा- राज्यसभा के 70 साल से ज्यादा समय के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब एक राज्यसभा सदस्य को उसके आवंटित आवास से हटाने की मांग की जा रही है। उन्होंने इस फैसले को मनमाना बताया। राघव चड्ढा ने आवास को लेकर विवाद के पीछे भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने दावा किया कि उनसे पहले भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी, राकेश सिन्हा, बसपा सांसद दानिश अली और पूर्व भाजपा सांसद रूपा गांगुली को भी टाइप-7 बंगला अलॉट किया जा चुका है। ये सभी पहली बार चुने गए सांसद थे। आप सांसद ने अपने बयान में बताया कि राज्यसभा के 240 सांसदों में से 180 सांसद ऐसे आवास में रहते हैं, जो उनकी पात्रता से अधिक है। इनमें से सिर्फ उन लोगों को टारगेट किया जा रहा है जो केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज उठाते हैं।
क्या कहता है नियम?
नियम के तहत पहली बार सांसद बनने वाले नेताओं को सरकारी फ्लैट आवंटित किया जाता है। अपनी भूल सामने आने के बाद राज्यसभा सचिवालय ने बंगला खाली कराने के लिए नोटिस दिया था, जिसे राघव चड्ढा ने चुनौती दी और कहा कि बतौर सांसद उन्हें एक बार निवास आवंटित हो गया है तो सांसद रहते हुए उसे खाली नहीं करवाया जा सकता।
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