अहमदाबाद। पीएम मोदी के डिग्री मामले से जुड़े गुजरात यूनिवर्सिटी मानहानि केस में अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह को बड़ा झटका लगा है। अहमदाबाद की सेशन कोर्ट ने समन पर रोक लगाने की उनकी रिवीजन पिटिशन को खारिज कर दिया है।
अहमदाबाद के सेशन कोर्ट में एडीशनल सेशन जज जे एम ब्रह्मभट्ट ने फैसला सुनाते हुए मानहानि के इस आपराधिक मामले में समन से राहत देने से इनकार करते रिवीजन पिटिशन खारिज कर दी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आप के सांसद संजय सिंह ने अहमदाबाद की मेट्रोपॉलिटन कोर्ट द्वारा भेजे गए समन को सेशन कोर्ट में चुनौती दी थी। इसमें केजरीवाल की तरफ से दलील दी गई कि गुजरात यूनिवर्सिटी राज्य सरकार के अधीन है। ऐसे में स्टेट होने के कारण वह मानहानि का केस नहीं कर सकती है। केजरीवाल की इस दलील पर गुजरात यूनिवर्सिटी ने कहा कि उसके सारे फैसले सरकार नहीं करती है। ऐसे में उसे स्टेट में नहीं रखा जा सकता है।
पिछली सुनवाई पर सेशन कोर्ट में दलीलें पूरी हो गई थीं। ऐसे में आज समन को चुनौती देने वाली केजरीवाल की रिवीजन एप्लीकेशन को खारिज करते हुए सेशंस कोर्ट ने झटका दिया है। अहमदाबाद की जिस कोर्ट में मानहानि का केस चल रहा है। उसमें अगली सुनवाई 23 सितंबर को होनी है।
दरअसल, आम आदमी पार्टी संयोजक और दिल्ली सीएम के खिलाफ ये शिकायत गुजरात विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार पीयूष पटेल द्वारा दायर की गई थी। उन्होंने केजरीवाल पर उनके बयानों का हवाला देते हुए मानहानि का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि अगर पीएम ने दिल्ली विश्वविद्यालय गुजरात विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है तो गुजरात विश्वविद्यालय को जश्न मनाना चाहिए कि उनका पूर्व छात्र प्रधानमंत्री बन गया है और फिर भी वे छिपाने की कोशिश कर रहे हैं। पटेल ने सिंह के बयानों के आधार पर मानहानि का आरोप लगाया।
शिकायत के अनुसार, यह बयान मीडिया के सामने दिया गया और विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के इरादे से ट्विटर (अब एक्स) के माध्यम से प्रसारित किया गया, यह जानते हुए भी कि इस तरह के बयान मानहानिकारक होंगे। शिकायतकर्ता पटेल के अनुसार, केजरीवाल ने 1 अप्रैल को एक संवाददाता सम्मेलन में ऐसे अपमानजनक बयान दिए और सिंह ने 2 अप्रैल को दूसरे संवाददाता सम्मेलन में ऐसे बयान दिए।
पटेल ने आरोप लगाया है कि गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के उस आदेश को खारिज करने के बाद आप के दोनों नेताओं ने यह टिप्पणी की, जिसमें विश्वविद्यालय को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्रियों के संबंध में “जानकारी खोजने” का निर्देश दिया गया था।
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