नई दिल्ली। चंद्रयान 3 मिशन 23 अगस्त की शाम चंद्र सतह पर उतारने से ठीक 2 घंटे पहले यान को उतारने या न उतारने पर अंतिम निर्णय होगा। अगर उस समय कोई ऐसी वजह सामने आई जो चंद्रयान 3 को उतारने के लिए अनुकूल नहीं लगी तो लैंडिंग को टाल कर 27 अगस्त के लिए निर्धारित किया जाएगा।
अहमदाबाद में स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (ISRO) के निदेशक नीलेश एम देसाई ने सॉफ्ट लैंडिंग को लेकर आगे का प्लान बताया। उन्होंने कहा, ’23 अगस्त को चंद्रयान-3 के चांद पर लैंड होने से दो घंटे पहले लैंडर मॉड्यूल की हेल्थ और चांद पर स्थिति के आधार पर हम तय करेंगे कि लैंड करना सही होगा या नहीं। अगर हालात हमारे पक्ष में नहीं लगेंगे, तो हम 27 अगस्त को मॉड्यूल को चांद पर उतारेंगे। कोई परेशानी नहीं आनी चाहिए और हम 23 अगस्त को मॉड्यूल को लैंड कर सकेंगे।’
शुरुआत में 1.68 किमी प्रति सेकंड का रहेगा वेग
देसाई ने बताया कि 30 किमी की ऊंचाई से लैंडिंग शुरू करने पर लैंडर मॉड्यूल के उतरने का वेग 1.68 किमी प्रति सेकंड रहेगा। यह बेहद तेज गति मानी जाती है। चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण भी उसे नीचे की ओर खींचेगा। इस वजह से यान के थ्रस्टर से रेट्रो-फायर (यान को उसके बढ़ने की दिशा से विपरीत दिशा में धकेलने के लिए) किए जाएंगे। इससे उसकी गति कम होती जाएगी। जब वह चंद्र की सतह की ओर बढ़ेगा तो उसे छूने तक धीरे-धीरे इंजन थ्रस्टर फायर से गति लगभग शून्य के करीब लाई जाएगी। इसके लिए लैंडर मॉड्यूल में 4 थ्रस्टर इंजन लगाए गए हैं।
योजना के मुताबिक आगे बढ़ रहा मिशन
वहीं, इसरो के प्रमुख रहे के. सिवन ने कहा कि रूस के लूना-25 चंद्र मिशन की नाकामी का इसरो के चंद्रयान-3 अभियान पर कोई असर नहीं पड़ेगा। चंद्रयान-3 मिशन योजना के मुताबिक आगे बढ़ रहा है. सॉफ्ट लैंडिंग योजना के अनुसार होगी। हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार (चंद्रयान-2) के उलट यह (सतह पर उतरने में) सफल रहेगा।
चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से संपर्क
इससे पहले चांद की ओर बढ़ रहे चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल का चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से संपर्क हो गया है। इस बारे में इडिंयन स्पेस रिसर्च ओर्गनाइजेशन (ISRO) ने कहा कि चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ने औपचारिक रूप से चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल का स्वागत किया फिलहाल दोनों के बीच दोतरफा संवाद स्थापित हो गया है। इसके जरिए ग्राउंड स्टेशन तक सिग्नल भी पहुंचेगा। चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ने पहले ही चंद्रयान-3 लैंडर के लिए सुरक्षित लैंडिंग के लिए जगह की पहचान करने में भी अहम भूमिका निभाई है।
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