नई दिल्ली। मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने राहुल की सजा पर रोक लगा दी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने आपराधिक मानहानि मामले में राहुल की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब तक राहुल गांधी की अपील का निपटारा नहीं हो जाता है तब तक उनकी दोषसिद्धि पर रोक रहेगी।अब राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्पीकर तक पहुंचाएंगे और वह इसी सत्र से संसद में दिखाई दे सकते हैं। फैसला देते हुए SC ने सवाल उठाया कि वह जानना चाहता है कि इस मामले में अधिकतम सजा क्यों दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर जज 1 साल 11 महीने की सजा देते तो वह (राहुल गांधी) अयोग्य घोषित नहीं होते। जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने कहा कि यह सही है कि इस तरह के बयान अपमानजनक और मानहानि के हैं। लेकिन पीठ ने अपने फैसले का आधार यह दिया है कि बयान राहुल गांधी ने दिया है तो उसकी सजा आम जनता (वायनाड की) क्यों भुगते और उनकी आवाज संसद क्यों न पहुंचे। ऐसे समय में जबकि संसद का सत्र चल रहा है।
राहुल गांधी का हलफनामा
इससे पहले राहुल गांधी के हलफनामे में कहा गया है कि बिना किसी गलती के माफी मांगने का कोई मतलब नहीं बनता है। जन प्रतिनिधित्व होने के नाते उन्होंने एक रैली में ऐसा बयान दिया था। उनके खिलाफ इस मामले में जो फैसला लिया गया वह न्यायिक प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग है और इस न्यायालय द्वारा इसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।
पहले जानिए क्या है मामला
2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार की एक रैली में राहुल गांधी ने कहा था, ‘कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है?’ इसी को लेकर भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। राहुल के खिलाफ आईपीसी की धारा 499 और 500 (मानहानि) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
निचली अदालतों में क्या-क्या हुआ?
23 मार्च को निचली अदालत ने राहुल को दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई थी। इसके अगले ही दिन राहुल की लोकसभा सदस्यता चली गई थी। राहुल की अपना सरकारी घर भी खाली करना पड़ा था। निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ दो अप्रैल को राहुल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जस्टिस प्रच्छक ने मई में राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद सात जुलाई को कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया और राहुल की याचिका खारिज कर दी थी।
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