गाजियाबाद। वसुंधरा सेक्टर-1 में बिल्डर द्वारा आवास विकास परिषद से एक प्लॉट पर तीन फ्लैट का नक्शा पास कराकर 23 फ्लैट बनाने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस संबंध में याचिका दाखिल होने के बाद कोर्ट ने अवैध निर्माण ध्वस्त करने का आदेश दिया है। आवास विकास परिषद ने सोसाइटी पर नोटिस चस्पा कर इमारत में रह रहे लोगों को पांच अगस्त तक फ्लैट खाली करने का नोटिस दिया है। परिषद का कहना है कि पांच अगस्त को अवैध निर्माण ध्वस्त किया जाना है। नोटिस के बाद से यहां निवास कर रहे 18 परिवार दहशत में हैं।
बिल्डर ने अवास विकास परिषद से 297.60 वर्गमीटर भूखंड पर तीन फ्लोर पर नक्शा पास कराने के बाद अवैध निर्माण कर 23 फ्लैट बनाकर बेच दिए। सभी फ्लैट एलआईजी हैं। 17 जुलाई को अवास विकास परिषद ने अवैध निर्माण बताते हुए भवन स्वामियों के लिए नोटिस चस्पा किया जिसमें लिखा कि यहां अवैध निर्माण हुआ है और हाईकोर्ट में याचिका दाखिल है। अवैध निर्माण ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करने की भी जानकारी नोटिस के जरिए दी गई। इसके बाद आविप ने 21 जुलाई को इस भवन में रह रहे 18 परिवारों के भवन स्वामियों के नाम से नोटिस जारी कर भवन खाली करने का आदेश दिया। 27 जुलाई को आवास विकास परिषद ने भवन की बाहरी दीवार पर नोटिस चस्पा किया जिसमें पांच अगस्त को ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करने की जानकारी देते हुए तत्काल भवन खाली करने के लिए कहा गया।
लोन भी नहीं पूरा हो पाया, घर भी जा रहा
भवन में रह रहे 18 परिवार के लोगों ने बताया कि बैंक से लोन लेकर फ्लैट की रजिस्ट्री कराई थी। साक्षी बजाज ने बताया कि वर्ष 2012 में रजिस्ट्री कराने के बाद भवन का निर्माण कार्य पूरा हुआ। वर्ष 2013 में फ्लैट में आकर रह रहे हैं। पिता के पेंशन का सारा रुपया फ्लैट में लगा दिया। अब भवन को अवैध करार दिया जा रहा है। गुरुग्राम में निजी कंपनी में नौकरी करने वाले बृजेश ने बताया कि वर्ष 2021 में लोन पर साढ़े 20 लाख रुपये में फ्लैट खरीदा। अभी लोन भी पूरा नहीं हो पाया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने राष्ट्रीयकृत बैंकों से लोन कराकर रजिस्ट्री कराई है। इसके बाद नगर निगम को हाउस टैक्स भी दे रहे हैं और बिजली का कनेक्शन भी उनके नाम पर है। यदि बिल्डर ने अवैध निर्माण किया तो आवास विकास परिषद को समय से निर्माण ध्वस्त कर देना चाहिए था, जिससे उनके जैसे लोग अपनी गाढ़ी कमाई लगाकर मकान ना खरीदते। भवन में रहने वाले सूरज ने बताया कि 2018 में वसुंधरा सेक्टर-एक स्थित भूखंड संख्या 1/831 में 25 लाख रुपये में खरीदा था। इन लोगों का कहना है कि उनके पास बिल्डर को कोई फोन नंबर नहीं है इसलिए वह किससे अपनी फरियाद सुनाएं, समझ में नहीं आ रहा है। ऐसे में निवासी सोमवार को हाईकोर्ट में अपने फ्लैट को बचाने की याचिका दायर करेंगे। साथ ही आवास विकास परिषद के अधिकारियों से कंपाउंडिंग की बात करेंगे।
जमकर हो रहा अवैध निर्माण
वसुंधरा के सेक्टरों में धड़ल्ले से हो रहे अवैध निर्माण की काफी शिकायतें हैं। आवास विकास के अफसरों पर मिलीभगत के आरोप लगते रहे हैं। परिषद के अधिकारियों की कई मामलों में जांच चल रही है। मुख्यालय से एक जांच टीम इसकी जांच में जुटी है। हालांकि परिषद के अधिकारी यही कहते हैं कि उनकी तरफ से बायर्स को अवेयर किया जा रहा है कि वह बिल्डर फ्लोर खरीदते समय नक्शे की जांच जरूर परिषद कार्यालय से करा लें। इसके अलावा, बैंकों से भी लोन न देने के लिए आरबीआई को पत्र लिखा गया है।
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